अरबों की विजय के कारण
(1) अरब सैनिकों को नूतन अरब रणनीति का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त था तथा अरबों के पास अच्छी नस्ल के सैनिक-घोड़े थे.
(2) मुहम्मद-बिन-कासिम का योग्य सैनिक नेतृत्व.
(3) राजा दाहिर निरकुंश, अयोग्य, धर्मान्ध व अलोकप्रिय था. उसने अरबों को सिन्धु नदी के पार ही रोकने का प्रयत्न नहीं किया.
(4) इतिहासकार अवध बिहारी पाण्डेय के अनुसार मुहम्मद-बिन-कासिम को मकरान के हाकिम से सैनिक सहायता तथा स्थानीय भौगोलिक जानकारी प्राप्त हुई थी, जो उसकी सफलता में सहायक सिद्ध हुई.
(5) जाटों और बौद्धों को इराक के शासक हज्जात से अभयदान प्राप्त हो गया तथा उन्होंने देशद्रोही मार्ग अपना कर अरबों को सहायता दी.
(6) इतिहासकार ए. एल. श्रीवास्तव के अनुसार, “अरबों की प्रेरणा का मुख्य आधार धार्मिक जोश था जिसमें वे अनुभव करने लगे थे कि ईश्वर ने उन्हें विश्व में इस्लाम का प्रचार तथा काफिरों के विनाश के लिए भेजा है.
(7) कुछ विद्वानों के अनुसार उस समय कुछ ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की थी कि भारत में यवनों का शासन अवश्यम्भावी होगा. इसलिए जनता के मनोवैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय होकर अरबों का सामना करने का प्रयास न किया.
अरबों की शासन व्यवस्था
- लगभग 150 वर्ष तक सिन्ध तथा मुल्तान के प्रान्त खलीफा के साम्राज्य के अन्तर्गत रहे.
- उनकी शासन व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थीं
प्रान्तों में शासन व्यवस्था
- उन्होंने हर प्रान्त के लिए सूबेदार और किले के लिए किलेदार नियुक्त किया तथा उन्हें स्थाई सेनाएं दीं.
आय के चार प्रमुख साधन थे
खम्स, खराज, जजिया तथा चुंगी.
खम्स
- युद्ध में लूट का धन.
- इसका 20 प्रतिशत या 1/5 भाग खलीफा को भेजकर शेष सैनिकों में बांट दिया जाता था.
खराज
- भूमिकर
- सिंचित भूमि पर उपज का 2/5 भाग तथा अन्य स्थानों पर 1/4 भाग भूमिकर के रूप में लिया जाता था.
जजिया
- जिन लोगों ने इस्लाम धर्म ग्रहण नहीं किया था (स्त्रियों, ब्राह्मणों और बच्चों को छोड़कर) उन सबसे जजिया लिया जाता था.
- जजिये की तीन दर थीं-48 दिरहम, 24 दिरहम और 12 दिरहम.
- सामाजिक दशा और कर देने की क्षमता के आधार पर भेद किया जाता था.
चुंगी
- यह राज्य की आय का चौथा प्रमुख साधन था.
- सम्भवतः गैर मुस्लिम व्यापारियों के माल पर दोगुनी चुंगी ली जाती थी.
न्याय व्यवस्था
- न्याय का कार्य काजी शरीयत एवं कुरान के नियमों के आधार पर करते थे.
- ‘गाँवों में पंचायतें’ और प्रान्तों में सूबेदार काजियों की सहायता से’न्याय करते थे.
- दण्ड कठोर थे.
सेना व्यवस्था
- सेना में घोड़ों को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया.
- सुरक्षा की दृष्टि से अरबों ने सेना को सदैव सजग और सुदृढ रखा.
- सम्भवतः भारतीयों को भी सेना में भर्ती किया गया था परन्तु महत्वपूर्ण पदों पर केवल मुस्लिमों को ही नियुक्त किया गया था.
धार्मिक नीति
आरम्भ में अरबों ने गैर-मुस्लिमों पर अत्याचार किए किन्तु शीघ्र ही उन्होंने सोच लिया कि धार्मिक कट्टरता की नीति को अपना कर भारत में शासन करना सम्भव नहीं है. अतः उन्होंने धीरे-धीरे सभी को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की और मन्दिरों को अपवित्र न करने का वचन दिया.
अरबों की विजय के कारण और उनकी शासन व्यवस्था (MEDIEVAL INDIA)