खेड़ा सत्याग्रह, सरदार वल्लभभाई पटेल Kheda Satyagraha 1918

खेड़ा सत्याग्रह, सरदार वल्लभभाई पटेल (Kheda Satyagraha 1918)महात्मा गांधीजी ने 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की फसल चौपट हो जाने के कारण सरकार द्वारा लगान में छूट न दिए जाने की वजह से सरकार के विरुद्ध किसानों का साथ दिया और उन्हें राय दी कि जब तक लगान में छूट नहीं मिलती वे लगान देना बन्द कर दें.

परिणामस्वरूप सरकार ने यह आदेश दिया कि लगान उन्हीं किसानों से वसूला जाए जो वास्तव में इसका भुगतान कर सकते हैं. अतः संघर्ष वापस ले लिया गया. इसी संघर्ष के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल उन सभी नौजवानों में से एक थे जो कि महात्मा गांधीजी के अनुयायी बने थे.

इन अनुभवों ने महात्मा गांधीजी को जनता के घनिष्ट संपर्क में ला दिया और वे जीवन भर उनके हितों की सक्रिय रूप में रक्षा करते रहे. वे वास्तव में भारत के पहले ऐसे राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने अपने जीवन और जीवन-पद्धति को साधारण जनता के जीवन से एकाकार कर लिया था. जल्दी ही वे गरीब भारत, राष्ट्रवादी भारत और विद्रोही भारत के प्रतीक बन गए. गांधीजी के तीन दूसरे लक्ष्य भी थे, जो उन्हें जान से प्यारे थे. इनमें –

पहला था- हिन्दू-मुस्लिम एकता,

दूसरा था- छुआछूत विरोधी संघर्ष और

तीसरा था- देश की स्त्रियों की सामाजिक स्थिति को सुधारना .

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