गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक (1320-25 ई.) Ghiyath al-Din, Ghiyasuddin Tughlaq or Ghazi Malik-गाजी मलिक या गयासुद्दीन तुगलक-‘तुगलक वंश‘ का संस्थापक था.

गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक (1320-25 ई.) Ghiyath al-Din, Ghiyasuddin Tughlaq or Ghazi Malik

उसका पिता एक करौना तुर्क था तथा माता पंजाब के जाट की पुत्री थी. उसका पिता बलबन का तुर्की दास था. अतः उसमें “हिन्दुओं की विनम्रता और कोमलता तथा तुर्को का पुरुषार्थ व उत्साह का मिश्रण था.”

गाजी मलिक (Ghazi Malik) (गयासुद्दीन तुगलक) ने एक साधारण सैनिक से अपना जीवन आरम्भ किया था और अन्त में वह दिल्ली का सुल्तान बना. उसने अपने समय में लगभग 29 बार मंगोलों के आक्रमणों को विफल किया.

दिल्ली का व्रह प्रथम सुल्तान था जिसे राज-घराने से सम्बन्धित न होने पर भी अमीरों व सरदारों ने आग्रह पूर्वक सुल्तान बनाया था तथा जिसने ‘गाजी’ या ‘काफिरों का घातक’ की उपाधि धारण की थी.

उसने कुलीन जनों व अधिकारियों का विश्वास प्राप्त करके साम्राज्य में व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया. परन्तु शेख निजामुद्दीन औलिया से उसके सम्बन्ध तनावपूर्ण रहे.

भ्रष्टाचार व गबन को रोकने के लिए गाजी मलिक (गयासुद्दीन तुगलक) ने अपने अधिकारियों को अच्छा वेतन दिया. उसने अपनी आर्थिक नीति का आधार संयम (रस्म-ए-मियान) को बनाया तथा लगान के रूप में 1/10 या 1/12 भाग वसूल करने के आदेश जारी किए.

सिंचाई के लिए कुओं व नहरों का निर्माण करवाया. सम्भवतः नहरों का निर्माण करवाने वाला यह पहला सुल्तान था. हिन्दुओं के प्रति उसने कठोर नीति अपनाई. वह दानी स्वभाव का था तथा प्रजाहितकारी कार्यों में रुचि रखता था.

गाजी मलिक (गयासुद्दीन तुगलक Ghiyasuddin Tughlaq) ने सैनिक विजयें भी प्राप्त की. उसकी सेनाओं ने-

  • तेलंगाना (1321-23 ई.),
  • उड़ीसा (1324 ई.),
  • बंगाल (1324 ई.),
  • तिरहुत तथा मंगोलों पर (1324 ई.) भी विजय प्राप्त की.
  • उसके पुत्र जौना खाँ ने अनेक सैनिक अभियानों का नेतृत्व किया.

जब गयासुद्दीन तुगलक(Ghiyasuddin Tughlaq) बंगाल से लौट रहा था तो उसके पुत्र जौना खाँ ने उसके स्वागत के लिए दिल्ली (तुगलकाबाद-गयासुद्दीन तुगलक द्वारा निर्मित शहर) से 6 मील की दूरी पर स्थित अफगान पुर में एक लकड़ी का भवन बनवाया.

यह विचार किया जाता है कि जूना खाँ ने इस भवन को इस ढंग से बनवाया था कि एक विशेष स्थान पर हाथियों के स्पर्श से यह गिर पड़े. ऐसा उसने अपने पिता को खत्म करने व स्वयं सुल्तान बनने के उद्देश्य से किया था.

इस दुर्घटना में गयासुद्दीन अपने पुत्र राजकुमार महमूद खाँ के साथ कुचला गया. इस प्रकार मार्च, 1325 ई. को गयासुद्दीन की मृत्यु हुई व जौना खाँ सुल्तान बना.

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