रजिया सुल्ताना (1236-40 ई.) Razia Sultana in hindi– रजिया सुल्ताना दिल्ली के अमीरों तथा जनता के सहयोग से सिंहासन पर बैठी थी. अतः अन्य तुर्क सरदार जैसे निजामुल मुल्क जुनैदी, मलिक अलाउद्दीन जानी, मलिक सैफुद्दीन कूची, मलिक ईनुद्दीन कबीर खाँ अयाज एवं मलिक इजुद्दीन सलारी आदि रजिया के प्रबल विरोधी बन गए.
रजिया सुल्ताना ने बड़ी बुद्धिमत्ता से इजुद्दीन सलारी और इनुद्दीन कबीर खाँ को अपनी ओर मिलाकर उनमें फूट डाल दी और सफलता पूर्वक उनके विद्रोह को कुचल दिया. इसके पश्चात् रजिया सुल्तान ने राजपूतों को परास्त कर रणथम्भौर पर अधिकार कर लिया तथा इस किले को ध्वस्त करवा दिया.
रजिया सुल्ताना (Razia Sultana) की शक्ति एवं सम्मान में वृद्धि करने हेतु रजिया सुल्ताना ने अपने व्यवहार में परिवर्तन किया. उसने पर्दा-प्रथा को त्याग कर पुरुषों जैसी वेशभूषा (‘कुबा‘ या कोट व ‘कुलाह‘ या टोपी) धारण करनी आरम्भ कर दी तथा घुड़सवारी, शिकार तथा सैन्य संचालन जैसे वीरतापूर्ण कार्य करने आरम्भ कर दिए.
उसने अपने विरोधियों का अन्त किया तथा शासन कार्यों में रुचि ली. अपने उच्चाधिकारियों की उसने स्वयं नियुक्ति की. उसने इख्तियारुद्दीन ऐतगीन को ‘अमीर हाजिब’ तथा जमालुद्दीन याकूत (अबीसीनिया की निग्रो जाति का) को ‘आखूर’ (घुड़सवारों का प्रधान) तथा मलिक हसन गोरी को प्रधान सेनापति नियुक्त किया.
रजिया सुल्ताना (Razia Sultana)के शासन काल में चहलगानी (चालीस) सरदारों ने उसके विरुद्ध षड्यन्त्र रचने आरम्भ कर दिए. 1239 ई. में लाहौर-मुल्तान के गवर्नर आयाज ने विद्रोह किया जिसे दबा दिया गया.
मीर हाजिब ऐतगीन के नेतृत्व में अन्य तुर्क सरदारों ने रजिया के विरुद्ध षड्यन्त्र रचा तथा भटिंडा के गवर्नर अल्तूनिया से मिल कर विद्रोह. कर दिया. 1240 ई. में रजिया ने अल्तूनिया के विरुद्ध कूच किया. पूर्व योजनानुसार ऐतिगीन ने जमालुद्दीन याकूत की हत्या कर दी.
रजिया सुल्ताना को भी कैद कर लिया गया. रजिया ने अल्तूनिया से मिल जाना अच्छा समझा तथा उसके साथ विवाह कर लिया. इससें तुर्क सरदार और भी क्रोधित हुए और सम्भवतः अल्तूनिया का तुरन्त ही वध कर दिया गया लेकिन रजिया सुल्ताना भागने में सफल हुई. मगर उसे जंगल में सोते हुए कुछ डाकुओं ने मार डाला.
रजिया की असफलता के कारण मुख्यतः उसका स्त्री होना, याकूत से प्रेम, ‘चालीसा‘ का विरोध तथा मलिक इख्तियारुद्दीन अल्तूनिया से रजिया का विवाह आदि माने जाते हैं रजिया दिल्ली सल्तनत की प्रथम तुर्क महिला शासिका थी.
उसने अपने गुलाम सरदारों पर पूर्ण नियन्त्रण रखा. लेकिन फिर भी वह देदीप्यमान चरित्र वाली स्त्री अपनी महत्ता सिद्ध करने में असफल रही.