रौलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह (Satyagraha against Rowlatt Act)-दूसरे राष्ट्रवादियों की तरह महात्मा गांधीजी को भी रौलेट एक्ट से गहरा धक्का लगा.
फरवरी, 1919 में उन्होंने एक सत्याग्रह सभा बनाई, जिसके सदस्यों ने इस कानून का पालन न करने तथा गिरफ्तारी और जेल जाने का सामना करने की शपथ ली.
सत्याग्रह ने फौरन ही आंदोलन को एक नए और उच्चतर स्तर तक उठा दिया. अब मात्र अदोलन करने तथा अपने असंतोष और क्रोध को मौखिक रूप में अभिव्यक्त करने की जगह राष्ट्रवादी अब सक्रिय कार्य भी कर सकते थे.
सन् 1919 के मार्च-अप्रैल महीनों में भारत में अभूतपूर्व राजनीतिक जागरण आया और लगभग पूरा देश नई शक्ति से भर उठा.