लॉर्ड डलहौजी, 1848-56 (Lord Dalhousie in Hindi) व्यपगत का सिद्धांत (The Doctrine of Lapse)

लॉर्ड डलहौजी (Lord Dalhousie in Hindi)

  • जनवरी, 1848 में लॉर्ड हार्डिंग के स्थान पर लॉर्ड डलहौजी को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया.
  • उसका पूरा नाम अल ऑफ डलहौजी (Earl of Dalhousie) था.
  • उसका प्रमुख उद्देश्य भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करना था.
लॉर्ड डलहौजी, 1848-1856 (Lord Dalhousie) व्यपगत का सिद्धांत (The Doctrine of Lapse)
  • अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न साधन अपनाए.
  • इन साधनों के द्वारा साम्राज्य विस्तार का अध्ययन हम इस प्रकार कर सकते हैं —

पंजाब का विलय 1849 (Annexation of Punjab, 1849)

  • 1846 में मुल्तान के गवर्नर मूलराज के साथ किए गए व्यवहार के कारण पंजाब में अंग्रेजों के खिलाफ सर्वत्र विरोध हो रहा था.
  • डलहौजी ने 1849 में युद्ध के द्वारा इस विरोध को कुचल दिया और पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर दिया.

लोअर बर्मा (पीग का राज्य) का विलय, 1852 (The Annexation of Lower Burma’Pegu State)

  • यन्दाबू की संधि (1826) के पश्चात् बहुत से अंग्रेज व्यापारी बम के दक्षिण तट और रंगुन में बस गए थे.
  • किन्तु बर्मा के राजा ने अंग्रेजों से उनकी आशाओं के अनुकूल व्यवहार न किया.
  • लॉर्ड डलहौजी ने बर्मा पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अपने “फॉक्स” नामक युद्ध पोत के अफसर कॉमेडोर लेम्बर्ट को रंगून भेजा.
  • लेम्बर्ट ने बर्मा के राजा का एक पोत पकड़ लिया.
  • इससे अंग्रेजों और बर्मा के महाराजा के मध्य युद्ध छिड़ गया.
  • इस युद्ध में बर्मा का राजा हार गया.
  • 20 दिसम्बर, 1852 की घोषणा के द्वारा लोअर बर्मा का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया गया.

व्यपगत का सिद्धांत (The Doctrine of Lapse in Hindi)

  • लॉर्ड डलहौजी अपने व्यपगत सिद्धांत के लिए बहुत प्रसिद्ध है.
  • इस सिद्धांत के द्वारा कुछ महत्वपूर्ण रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया.
  • लॉर्ड डलहौजी के अनुसार भारत में तीन प्रकार की रियासतें थी
  1. वे जो कभी भी किसी उच्च शक्ति के अधीन न रही और न ही कर देती थी.
  2. वे भारतीय रियासतें जो मुगल सम्राट या पेशवा के माध्यम से कम्पनी के अधीन आ गई थी और कर देती थी.
  3. वे रियासतें जिन्हें अंग्रेजों ने पुनर्जीवित कर स्थापित किया था.
  • लॉर्ड डलहौजी का यह निश्चित मत था कि राजाओं की निजी सम्पत्ति के उत्तराधिकार के सम्बन्ध में दत्तक पुत्र की अनुमति है किन्तु राजगद्दी पर अधिकार के लिए नहीं.
  • उसके मत में प्रथम श्रेणी की रियासतों के राजाओं द्वारा दत्तक ग्रहण के संबंध में हमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.
  • किन्तु सरकार द्वितीय और तृतीय श्रेणी की रियासतों के लिए दत्तक पुत्र को गद्दी पर बिठाने की अनुमति नहीं देगी.
  • ये रियासतें व्यपगत (Lapse) हो जाएगी.
  • इस प्रकार व्यपगत के सिद्धान्त के अनुसार-
  1. सतारा (1848),
  2. जैतपुर और संभलपुर (1849),
  3. वघाट (1850),
  4. उदयपुर (1852),
  5. झांसी (1853) और
  6. नागपुर (1854)
  • इन रियासतों का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया गया.

व्यपगत-सिद्धांत की समीक्षा (Analysis of Doctrine of Lapse)

  • लॉर्ड डलहौजी के व्यपगत सिद्धांत की समीक्षा करते हुए यह कहा जा सकता है कि इसका प्रयोग मुख्य रूप से साम्राज्य विस्तार के लिए किया गया.
  • पुत्र गोद लेने की प्रथा हिन्दुओं में बहुत प्राचीन थी.
  • वे इसे बड़ी धूमधाम से और धार्मिक कर्मकाण्डों के अनुसार मानते थे.
  • मुगलों और पेशवाओं के अधीन इस कार्य के लिए सम्राट को केवल नज़राना ही देना होता था किन्तु डलहौजी ने इस प्रथा की आड़ में पूरी रियासत को ही हड़पना शुरू कर दिया.
  • इसके अलावा आश्रित रियासतों (Dependent States) और संरक्षित मित्र (Protected Allies) रियासतों का भेद एक कल्पना मात्र था.
  • इस संबंध में विवादित मामलों पर अंतिम निर्णय कम्पनी या कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर्ज का होता था.
  • इस संबंध में निष्पक्ष निर्णय देने के लिए किसी उच्चतम न्यायालय की कोई व्यवस्था न थी.

उपाधियों और पेन्शनों को बंद करना

  • 1853 में कर्नाटक के नवाब की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों को पेन्शन देने से मना कर दिया गया.
  • इसी प्रकार 1853 में पेशवा बाजीराव की मृत्यु के बाद उसके दत्तक पुत्र नाना साहिब को पेन्शन देने से मना कर दिया गया.

अवध का विलय, 1856 (Annexations of Avadh, 1856)

  • यदि अवध जैसे प्रदेशों में व्यपगत का सिद्धांत लागू न हो सका तो डलहौजी ने “अच्छे प्रशासन” की आड़ में अवध का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया.
  • इस संबंध में देशी राजाओं का विचार था कि उनके प्रदेश केवल व्यपगत सिद्धांत के कारण ही नहीं वरन् “नैतिक व्यपगत” के कारण भी ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिए गए हैं.

लॉर्ड डलहौजी के प्रमुख सुधार (Major Reforms of Lord Dalhousie)

  • लॉर्ड डलहौजी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए प्रमुख सुधार निम्नलिखित हैं–

प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms)

  • लॉर्ड डलहौजी ने गवर्नर जनरल के कार्यभार को हल्का करने के लिए बंगाल में एक लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की.
  • कम्पनी द्वारा प्राप्त किए गए नवीन प्रदेशों में “नॉन रेग्यूलेशन पद्धति” (Non-Regulation System) को लागू किया गया.
  • इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक नए प्रदेश में एक कमिश्नर नियुक्त किया गया.
  • कमिश्नर सीधे गवर्नर जनरल के प्रति उत्तरदायी होता था.

सैनिक सुधार (Military Reforms)

  • साम्राज्य में निरन्तर होते विस्तार को देखते हुए सैन्य व्यवस्था में भी सुधार किए गए.
  • बंगाल तोपखाने का मुख्य कार्यालय कलकत्ता से मेरठ में स्थानांतरित किया गया.
  • 1865 में शिमला में एक सैन्य मुख्यालय स्थापित किया गया.
  • सेना में तीन और रेजिमेंटें बनाई गई.
  • पंजाब में एक नई अनियमित सेना का गठन किया गया.
  • यह सेना सीधे पंजाब प्रशासन के अधीन थी.
  • इस सेना की परिपाटी और अनुशासन भी भिन्न था.

शैक्षणिक सुधार (Educational Reforms)

  • डलहौजी के शासन काल में शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सुधार हुए.
  • 1853 में टामसन की व्यवस्था के अनुसार समस्त उत्तर-पश्चिमी प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश), लोअर बंगाल और पंजाब में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार भारतीय भाषाओं में शिक्षा का प्रस्ताव स्वीकार किया गया.
  • जुलाई, 1854 में सर चार्ल्स वुड ने भारत सरकार को शिक्षा की एक नई योजना भेजी.
  • इस योजना के अनुसार प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा के लिए एक व्यापक योजना बनाई गई.
  • इसके अलावा इस योजना के अनुसार जिलों में एंग्लो-वर्नेक्यूलर स्कूलों, प्रमुख नगरों में सरकारी कॉलेजों तथा तीनों प्रेजिडेन्सी नगरों में एक-एक विश्वविद्यालय की स्थापना का भी प्रावधान था.

रेलवे विभाग (Department of Railway)

  • भारत में सर्वप्रथम लार्ड डलहौजी के काल में 1853 में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाना तक बिछाई गई.
  • अगले ही वर्ष कलकत्ता से रानीगंज कोयला क्षेत्र तक एक लाइन बिछाई गई.
  • भारत में रेलवे लाइन बिछाने के काम में सरकार का नहीं वरन्, ब्रिटिश पूंजीपतियों का पैसा लगा हुआ था.

विद्युत तार (Bectric Telegraph)

  • लार्ड डलहौजी को भारत में विद्युत तार का प्रारंभकर्ता माना जाता है.
  • 1852 में विद्युत तार विभाग के अधीक्षक के पद पर नियुक्त किए गए.
  • ओ. औंघनैसी (O’Shanghnessy) के अथक प्रयासों से लगभग 4000 मील लम्बी तार लाइन बिछा दी गई.
  • जिससे कलकत्ता से पेशावर बम्बई और मद्रास तक देश के विभिन्न भागों को तार द्वारा मिला दिया गया.

डाक सुविधा (Postal Reforms)

  • आधुनिक डाक व्यवस्था का आधार लार्ड डलहौजी के शासन काल में रखा गया था.
  • 1854 में एक नया डाकघर अधिनियम पारित किया गया.
  • सारे देश में कहीं भी 2 पैसे की दर पर पत्र भेजा जा सकता था.
  • देश में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन आरंभ हुआ.

सार्वजनिक निर्माण विभाग (Public Works Department)

  • डलहौजी से पूर्व सार्वजनिक निर्माण का कार्य एक सैनिक बोर्ड को करना होता था.
  • डलहौजी ने एक अलग सार्वजनिक निर्माण विभाग का गठन किया.
  • सिंचाई कार्यों पर भी ध्यान दिया गया.
  • 8 अप्रैल, 1854 को सिंचाई हेतु गंगा नहर खोल दी गई.
  • ग्राण्ड ट्रंक रोड़ का निर्माण कार्य भी प्रारंभ हुआ.

वाणिज्य-सुधार (Commercial Reforms)

  • डलहौजी ने भारत के बन्दरगाहों को अन्तरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए खोल दिया.
  • कराची, बम्बई और कलकत्ता के बन्दरगाहों का भी विकास किया गया.

1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी का उत्तरदायित्व (Dalhousle’s Responsibility for the Revolt of 1857)

  • लार्ड डलहौजी के साम्राज्यवादी कार्यों से भारत में उफान एकत्रित हो रहा था.
  • उसके व्यपगत के सिद्धांत से भारतीय राजाओं में असंतोष फैल गया.
  • इस सिद्धांत ने भारतीय लोगों के पारम्परिक रीति रिवाजों की अवहेलना की.

मूल्यांकन (Evaluation)

  • लॉर्ड डलहौजी को एक साम्राज्यवादी गवर्नर जनरल के रूप में याद किया जाता है.
  • डलहौजी के कार्यों का निष्कर्ष तीन शब्दों में बताया जा सकता है-
  1. विलय,
  2. संगठन और
  3. विकास.
  • उसके विलय ने भारत के वर्तमान मानचित्र को बनाया.
  • उसने रियासतों के विलय से आन्तरिक संगठन के कार्य को पूर्ण किया.
  • डलहौजी के विलय एवं विजयों से लगभग ढाई लाख वर्ग मील का क्षेत्र कम्पनी के अधीन आ गया.
  • विकास कार्यों के रूप में उसने रेलवे, नहरों एवं सार्वजनिक निर्माण की दूरगामी योजनाएं तैयार की.

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