अगस्त ऑफर, 1940 (August Offer, 1940) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
- विश्वयुद्ध बड़ी शीघ्रता से बढ़ता गया और अप्रैल, 1940 में हालैण्ड, बेल्जियम तथा फ्रांस का पतन हो गया.
- ब्रिटेन को भय हो गया कि कहीं उसके भाग्य का निपटारा भी इसी प्रकार न हो.
- मई के महीने में चेम्बरलिन के स्थान पर चर्चिल प्रधानमंत्री बने और लार्ड जेटलैण्ड के स्थान पर एल. एस. ऐमरी भारत मंत्री बने.
- ऐसी अवस्था में ब्रिटिश सरकार ने अगस्त, 1940 ई. में भारत संबंधी एक घोषणा की जिसे ‘अगस्त ऑफर’ कहा जाता है.
- इसका उद्देश्य यह था कि इस प्रस्ताव के अनुसार भारतीय युद्ध समाप्ति के बाद कुछ रक्षा, अल्पमत के अधिकार, रियासतों आदि सुरक्षाओं के साथ अपना संविधान स्वयं बनावें.
- इसमें अल्पमत वालों को बढ़ावा दिया गया और कहा गया कि उनकी अनुमति के बिना संविधान नहीं बनेगा.
- इस ऑफर को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया. क्योंकि इससे और अधिक असंतोष फैलने की संभावना थी.
- इसके बाद ही भाषण की स्वतंत्रता के लिए सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया गया.
- फलस्वरूप बहुत से नेता बन्दी बना लिए गये.
- महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को सार्वजनिक रूप नहीं देना चाहा क्योंकि वह युद्ध की विपत्ति के समय अंग्रेजी सरकार को बहुत अधिक परेशान नहीं करना चाहते थे.
- 1941 में विश्व की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन आए.
- पश्चिमी यूरोप तथा अधिकांश पूर्वी यूरोप में पोलैण्ड, बेल्जियम, हालैण्ड, नार्वे और फ्रांस पर अधिकार कर चुनने के बाद नाजी जर्मनी ने 22 जून, 1941 को सोवियत संघ पर हमला बोल दिया.
- जापान जर्मनी और इटली की ओर से युद्ध में शामिल हो गया.
- उसने तेजी से फिलीपीन, हिंदचीन, इंडोनेशिया, मलाया और बर्मा पर अधिकार कर लिया.
- मार्च, 1942 में रंगून पर उसका अधिकार हो गया.
- इससे युद्ध भारत की सीमाओं पर आ पहुंचा.
- कांग्रेस को विश्वास था कि स्वतंत्र भारत स्वयं अपनी रक्षा कर सकता है.
- अतः उसने फिर पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की और कहा कि इसके बाद भारत ब्रिटेन व उसके सहयोगी राष्ट्रों के हितों के लिए सहयोग करने को तैयार है.