सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के साथ ही कोशिका की खोज का इतिहास जुड़ा है.
सन् 1665 में सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक (Robert hooke) के द्वारा संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope) का आविष्कार किया गया तथा इस सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उन्होंने कॉर्क के एक महीन सेक्शन को देखा .
रॉबर्ट हुक को कॉर्क के सेक्शन में मधुमक्खी के छत्ते के समान छोटेछोटे कोष्ठक दिखाई दिये.
इन्हीं कोष्ठकों को उन्होंने कोशिका (Cell) का नाम दिया.
रॉबर्ट हुक ने कार्क की मृत कोशिकाओं का भी अध्ययन किया था जो चारों तरफ से मोटी भित्ति से घिरी हुई थीं.
सूक्ष्मदर्शी में सुधार करके अन्य वैज्ञानिकों ने भी जन्तुओं तथा पौधों की कोशिकाओं का अध्ययन किया.
सन 1831 में रॉबर्ट ब्राउनने ऑर्किड (Orchid)की सजीव कोशिकाओं के बीच बनी एक घनीसी संरचना देखी, जिसे केन्द्रक (Nucleus) कहते हैं.
कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले सम्पूर्ण सजीव पदार्थ को पार्किन्जे ने प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) अर्थात् जीवद्रव्य का नाम दिया.
कोशिका सिद्धान्त (The Cell Theory)
पूर्व कल्पना के अनुसार- “कोशिका जीवों का संरचनात्मक एवं क्रियात्मक एकक है.”
कोशिका सिद्धांत जर्मन वनस्पतिज्ञ M.J. Schleiden ने सन् 1838 में पौधों के लिये तथा जर्मन प्राणि-विज्ञानी Theodor Schwann ने सन् 1839 में जन्तुओं के लिये स्थापित किया था.
Schwann के शब्दों में प्रत्येक कोशिका एक जीव है तथा समस्त जन्तु तथा पेड़-पौधे इन जीवों का समूह हैं जो एक निश्चित क्रम में बंधे होते हैं तथा ये जीव पूर्ववर्ती अर्थात् पहले से स्थित जीवों से बनते हैं सन् 1858 में विरकोव (Virchow) ने बताया कि कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होती है-“Omnis Cellula e Cellula.”
रेमाक (Remak), नैजेली (Nageli), पुरकिंजे (Purkinje), तथा वॉन मोहल (Von Mohl) जीव वैज्ञानिकों ने कोशिका सिद्धान्त की अनेक कमियों को दूर किया तथा कोशिका-सिद्धान्त की स्थिति को निम्नलिखित प्रकार से बताया-
समस्त जीव का शरीर कोशिकाओं का समूहन है.
कोशिकायें जैविक क्रियाओं या मैटाबोलिक क्रियाओं की इकाई को प्रदर्शित करती हैं.
नई कोशिकायें पूर्ववर्ती कोशिकाओं से ही बन सकती हैं.
कोशिकायें आनुवंशिक एकक (Hereditary Units) भी हैं तथा इनमें आनुवंशिकता के गुण उपस्थित होते हैं.
किसी भी जीव में होने वाली सभी क्रियायें उसकी घटक – कोशिकाओं में होने वाली विभिन्न जैव-क्रियाओं के कारण होती हैं.
कोशिका का आकार एवं आकृति (Size and Shape of Cell)
अधिकांश कोशिकाओं का व्यास 0.1 Micron (1u = 1/100 mm) तथा 1 mm के बीच होता है.
कोशिका अंगक तथा कोशिका द्रव्यक घटक बहुत अधिक छोटे होने के कारण इन्हें मिली माइक्रोन (mu), नानोमाइक्रोन (nu) या एंग्स्ट्राम (Angstrom, A°) में मापा जाता है.
0.1u से छोटी वस्तुओं को मनुष्य द्वारा नहीं देखा जा सकता.
अत: कोशिका की विस्तृत रचना का अध्ययन करने के लिये लेंस द्वारा इसका आवर्धन (Magnification) करना आवश्यक है.
समस्त पौधों एवं प्राणियों की कोशिकाओं में ही नहीं अपितु एक ही पौधे या प्राणी के भिन्न भागों में पायी जाने वाली कोशिकाओं के आकार व आकति में भी बहत अन्तर होता है.
अतः कोशिकाओं के विभिन्न भागों का निस्तत अध्ययन इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी (Electron Microscope) की सहायता से किया जाता है.
पल्यूरोन्युमोनिया वाइरस अभी तक ज्ञात सूक्ष्मतम कोशिका है जिसका व्यास 0.1u होता है.
कोशिकायें गोलाकार व वृत्ताकार, अण्डाकार या लम्बाकार, घनाकार, बेलनाकार, नालाकार या बहुभुजाकार, चपटी या फीते के समान अथवा तश्तरीनमा होती हैं.