चम्पारण सत्याग्रह,महात्मा गांधी-1917
(Champaran Satyagraha by Mahatma Gandhi in Hindi)
चम्पारण सत्याग्रह 1917 (Champaran Satyagraha by Mahatma Gandhi in Hindi)-1917 में महात्मा गांधी जी ने सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चम्पारण जिले में किया. चम्पारण की घटना उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में शुरू हुई थी.
यहां नील के खेतों में काम करने वाले किसानों पर यूरोपीय मालिक बहुत अधिक अत्याचार करते थे. किसानों को अपनी जमीन के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना तथा उन मालिकों द्वारा तय दामों पर उन्हें बेचना पड़ता था.
चम्पारण के अनेक किसानों ने महात्मा गांधी जी से मिलकर उन्हें अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों की कहानी सुनाई और सहायता की मांग की.
1917 में महात्मा गांधीजी, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, मजहरूल-हक, जे. बी. कृपलानी और महादेव देसाई वहां पहुंचे और किसानों की हालत की विस्तृत जांच-पड़ताल करने लगे.
जिले के अधिकारियों ने उन्हें चंपारन छोड़ने का आदेश दिया परन्तु उन्होंने आदेश का उल्लंघन किया और जेल/मुकदमें के लिए तैयार रहे. मजबूरन सरकार ने पिछला आदेश रद्द कर दिया और एक जांच समिति बिठाई जिसके एक सदस्य स्वयं महात्मा गांधीजी थे.
अंततः किसान जिन समस्याओं से पीड़ित थे उनमें कमी हुई तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन की पहली लड़ाई महात्मा गांधी जी ने जीत ली. खेत मालिकों के साथ हुए समझौते के तहत अवैधानिक तरीकों से किसानों से लिए हुए धन का 25 प्रतिशत उन्हें वापस करने की बात तय हुई.
जब आलोचकों ने महात्मा गांधीजी(Mahatma Gandhiji) से पूछा कि उन्होंने पूरा धन वापस करने की बात क्यों नहीं की तो महात्मा गांधीजी का उत्तर था इस धन की वापसी खेत मालिकों की स्थिति व उनके सम्मान के लिए बहुत बड़ा धक्का होगा.