द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference)

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के समय ब्रिटेन के सर्वदलीय मंत्रिमण्डल में अनुदारवादियों का बहुमत था.
  • अनुदारवादियों ने सेमुअल हाक को भारत मंत्री एवं लार्ड विलिंग्टन को भारत का वायसराय बनाया.
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 7 सितम्बर, 1931 को शुरू हुआ.
  • गांधीजी 12 सितम्बर को इंग्लैण्ड पहुंचे जो कि कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि थे.
  • ऐनीबेसेन्ट एवं मदनमोहन मालवीय व्यक्तिगत रूप से इंग्लेण्ड गये थे.
  • एनीबेसेन्ट ने सम्मेलन में शामिल होकर भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया.
  • इस सम्मेलन में साम्प्रदायिक समस्या देखने को मिली.
  • मुस्लिमों एवं सिक्खों के साथ-साथ अनुसूचित जाति के लोगों के लिए डा. अंबेडकर ने भी सम्मेलन में भाग लिया और पृथक निर्वाचन की मांग की.
  • गांधीजी इन बातों से बड़े दुःखी हुए. सम्मेलन में भारतीय संघ की रूप-रेखा पर विचार विमर्श हुआ.
  • भारत में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की बात की गयी.
  • तथा अनेक प्रतिनिधियों ने केन्द्र में वैध शासन अपनाने की बात की.
  • साम्प्रदायिक समस्या के समाधान पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका.
  • गांधीजी ने डोमिनियन स्टेट्स के लिए जोरदार वकालत की लेकिन सरकार ने स्वतंत्रता की इस बुनियादी राष्ट्रवादी मांग को मानने से इन्कार कर दिया.
  • 1 दिसम्बर, 1931 को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन बिना किसी ठोस निर्णय के समाप्त हो गया.
  • 28 दिसम्बर को वापस लौटने पर गांधी जी ने अपने स्वागत में आयी हुई भीड़ को संबोधित करते हुए कहा- “मैं खाली हाथ लौटा हूं, परन्तु अपने देश की इज़्ज़त को मैंने बट्टा नहीं लगने दिया.”

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