नेहरु रिपोर्ट (Nehru Report in hindi) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (Indian National Movement)
- ब्रिटिश कैबिनेट के अनुदार दल के भारत मंत्री लार्ड बर्केनहेड ने 24 नवम्बर, 1027 में भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिससे सारे भारतीय संतुष्ट हों.
- उनका मानना था कि भारत की भिन्न परिस्थितियों में यह संभव नहीं है.
- अत: विभिन्न पार्टियों तथा संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने ‘सर्वदलीय सम्मेलन’ का आयोजन कर सांविधानिक सुधारों की रूप-रेखा बनाने का प्रयास किया.
- सभी पक्ष इस बात पर सहमत थे कि ‘पूर्ण उत्तरदायी शासन’ को आधार बनाकर नया संविधान बनाया जाए.
- मई, 1928 में पुनः सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया गया जिसमें संविधान का ड्राफ्ट बनाने के लिए पंडित मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की गई.
- इस समिति के अन्य सदस्य थे-
- अली इमाम,
- सुएव कुरेशी (मुस्लिम),
- एम. एस. एने,
- एम. आर. जेकर (हिन्दू महासभा),
- मंगल सिंह (सिख लीग),
- तेज बहादुर सप्रू (लिबल्स),
- एन. एम. जोशी (लेबर),
- जी. पी. प्रधान (नॉन-ब्राह्मण) तथा
- पं. जवाहर लाल नेहरु जो कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे.
- नेहरु समिति ने अपनी रिपोर्ट अगस्त, 1928 में पेश की जिसे नेहरु रिपोर्ट कहा गया.
- नेहरु रिपोर्ट की कुछ सिफारिशें विवादास्पद थी.
- दुर्भाग्य से कलकत्ता में दिसम्बर, 1928 में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन रिपोर्ट को स्वीकार न कर सका.
- मुस्लिम लीग, हिंदू महासभा और सिख लीग के कुछ साम्प्रदायिक रुझान वाले नेताओं ने इसे लेकर आपत्तियां कीं.
- इस तरह सांप्रदायिक दलों ने राष्ट्रीय एकता का दरवाजा बंद कर दिया.
- इसके बाद लगातार साम्प्रदायिक भावनाएं विकसित होती गई.
- पंडित जवाहरलाल नेहरु, सुभाष चन्द्र बोस तथा अनेकों अन्य युवा राष्ट्रवादी भी नेहरु रिपोर्ट से पूर्णतया सहमत नहीं थे.
- ये लोग औपनिवेशिक शासन के विपरीत पूर्ण-स्वाधीनता के पक्ष में थे.
- अतः दिसम्बर, 1928 में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन रिपोर्ट को स्वीकार न कर सका.
क्रान्तिकारी-आतंकवाद का दूसरा चरण (Second Phase of Revolutionary Terrorism)
kirshn lal