रौलेट एक्ट 1919 (Rowlatt Act 1919 in Hindi)–भारत सरकार भारतीयों को संतुष्ट करने के प्रयास करते समय भी दमन के लिए तैयार थी. युद्ध के पूरे काल में राष्ट्रवादियों का दमन, उन्हें जेलों में बन्द करना तथा फांसी पर लटकाना जारी रहा.
मार्च, 1919 में सरकार ने रौलेट एक्ट पास किया, जिसका केन्द्रीय विधान परिषद् के प्रत्येक सदस्य ने विरोध किया.
रौलेट कानून के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में मुकदमा चलाए और दंड दिए बिना जेल में बन्द कर सकती है.
साथ ही कैदी को अदालत में प्रत्यक्ष उपस्थित करने के कानून के निलम्बन का अधिकार भी रौलेट एक्ट कानून के तहत सरकार ने प्राप्त कर लिया था.
इस काले कानून के तहत सरकार का प्रमुख उद्देश्य सरकारी सुधारों से संतुष्ट न होने वाले राष्ट्रवादियों को कुचलना था.