ग्रहण क्या होता है ?चन्द्र ग्रहण,सूर्य ग्रहण ( What is Eclipse) –पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की गतियों के कारण जब सूर्य और चन्द्रमा के प्रकाशमय भाग का कुछ अंश थोड़ा समय के लिए अन्धकारमय हो जाता है. तो उसे ग्रहण कहते हैं.
चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse)
- जब पृथ्वी और चन्द्रमा की सूर्य के चारों ओर की गतियों के कारण पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है तो सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा पर नहीं पड़ता है.
- क्योंकि चन्द्रमा सूर्य से ही प्रकाशित होता है अतः ऐसी स्थिति में चन्द्रमा का प्रकाश पृथ्वी पर दिखाई नहीं पड़ता है इस अवस्था को चन्द्रग्रहण कहते हैं.
- इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है और छायांकित भाग पृथ्वी से नहीं दिखाई देता है.
- जब चन्द्रमा का सम्पूर्ण भाग पृथ्वी की छाया में आ जाती है तो उस समय पूर्ण ग्रहण और जब कुछ भाग ही छायांकित होता है तो खण्डग्रहण कहलाता है.
- जैसे ही पृथ्वी या चन्द्रमा घूमते हुए उपरोक्त स्थिति से हट जाते हैं तभी यह ग्रहण समाप्त हो जाता है.
- चन्द्र ग्रहण की स्थिति सदैव पूर्णिमा को ही सम्भव होती है.
सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)
- पृथ्वी और चन्द्रमा की गतियों के कारण जब कभी सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पड़ता है ऐसी स्थिति को सूर्य ग्रहण करते हैं.
- सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही पड़ता है.
- जब चन्द्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है तो पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ता है.
- जब चन्द्रमा सूर्य का कुछ ही अंश ढक पाता है.
- तो उस समय खण्ड सूर्यग्रहण या आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ता है.
- चन्द्रमा के सूर्य व पृथ्वी के बीच से हट जाने पर सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाता है.
- जब सूर्य एक चमकती हुई अंगूठी के रूप में दिखाई देता है तो इसे वलयाकार सूर्यग्रहण (Angular Solar Eclipse or Annular Solar Eclipse) कहते हैं.