लार्ड एमहर्स्ट, 1823-28 (Lord Amherst, 1823-28) आधुनिक भारत (MODERN INDIA)
लार्ड एमहर्स्ट (Lord Amherst)
बर्मा का प्रथम युद्ध (Burma’s first war)
- लार्ड एमहर्स्ट के समय की सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं बर्मा का प्रथम युद्ध तथा भरतपुर का युद्ध थीं.
- बर्मा एक स्वतंत्र राष्ट्र या तथा इसके निवासी अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के उपनिवेश की शान्ति और सुरक्षा के लिए खतरे का प्रमुख कारण थे.
- 1822 में बर्मा द्वारा स्याम पर विजय के कारण भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ गई तथा अंग्रेज कम्पनी को हस्तक्षेप करना पड़ा.
- 1823 में अंग्रेजों के साथ लड़ने को उत्सुक ब लोगों ने शाहपुरी पर आक्रमण कर दिया.
- लार्ड एमहर्स्ट ने 1824 में युद्ध की घोषणा कर दी.
- यद्यपि युद्ध लम्बा चला परन्तु अन्त में बर्मा वाले पराजित हो गए.
यन्दाबू की संधि (Treaty of Yandabo)
- 1826 में भारत सरकार तथा बर्मा के बीच ‘यन्दाबू की संधि‘ द्वारा बर्मा नरेश महाबन्दादुला ने अंग्रेज कम्पनी को अराकान तथा तनासरिन के प्रान्त देना स्वीकार कर लिया.
- असम तथा कछार से बर्फी फौजे हटानी पड़ी तथा मणिपुर की स्वतंत्रता को स्वीकार कर लिया गया.
- बर्मा ने अपनी राजधानी में एक अंग्रेज़ रेजीडेण्ट को रखना स्वीकार कर लिया तथा 10 लाख पौण्ड का हर्जाना देना भी स्वीकार कर लिया.
भरतपुर और ब्रिटिश सरकार (Bharatpur and British Government)
- भरतपुर के नरेश की मृत्यु के पश्चात् वहां राजगद्दी के लिए परस्पर झगड़ा शुरू हो गया.
- ब्रिटिश सरकार ने अल्प वय के दावे को स्वीकार कर लिया जिस कारण एक अन्य दावेदार दुर्जनसाल के लिए अपने अधिकार की रक्षा हेतु युद्ध करना आवश्यक हो गया.
- भरतपुर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया गया तथा ब्रिटिश फौजों ने बहुत से व्यक्तियों को पकड़ लिया.
- बर्मा युद्ध तथा बैरेक पुर में एक फौजी टुकड़ी के जुर्मा जाने से इन्कार कर देने पर सैनिकों को गोलियों से उड़ा देने के कारण गवर्नर जनरल अलोकप्रिय हो गया.
- अतः 1825 के उत्तरार्द्ध से लार्ड एमहर्स्ट को अनेक कठिनाइयों से गुजरना पड़ा और अन्त में मार्च, 1828 में लार्ड एमहर्स्ट कलकत्ता से वापस प्रस्थान कर गए.