लार्ड वेल्जली (LORD WELLESLEY) | सहायक संधि | आधुनिक भारत (MODERN INDIA)

लार्ड वेल्जली (LORD WELLESLEY) सहायक संधि आधुनिक भारत (MODERN INDIA)

लार्ड वेल्जली (LORD WELLESLEY)

  • 1798 में सर जान शोर के पश्चात् रिचर्ड कॉले  वेल्जली भारत का गवर्नर जनरल बना.
  • उसका प्रमुख उद्देश्य ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनाना था.
  • वह कम्पनी के प्रदेशों का अभूतपूर्व विस्तार करना चाहता था.
  • तथा भारत के सभी राज्यों पर कम्पनी का प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था.
लार्ड वैल्ज़ली (LORD WELLESLEY) सहायक संधि आधुनिक भारत (MODERN INDIA)

सहायक संधि व्यवस्था (Subsidiary Alliance System in Hindi)

  • लार्ड वेल्जली अपनी सहायक संधि की प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है.
  • उसने इस संधि का प्रयोग भारतीय राज्यों को कम्पनी के राजनीतिक प्रभुत्व में लाने के लिए किया.
  • इस संधि के द्वारा कम्पनी ने अपने मित्रों के राज्यों की सीमाओं की रक्षा का भार अपने ऊपर लिया.
  • इस उद्देश्य से अपनी एक सहायक सेना संबंधित राज्य में रख दी.
  • कम्पनी के भारतीय मित्रों को इस सहायता के बदले कम्पनी को धन नहीं वरन् अपने प्रदेश का एक भाग देना होता था.
  • सहायक संधि की इस प्रणाली का अस्तित्व वैल्जली के आगमन से पूर्व भी था.
  • सम्भवतः फ्रांसीसी गवर्नर जनरल डूप्ले प्रथम यूरोपीय था जिसने उक्त प्रणाली के अनुसार अपनी सेनाएं किराए पर भारतीय राजाओं को दी.
  • प्रथम सहायक संधि 1765 में कम्पनी ने अवध के नवाब से की थी.
  • वैल्जली के समय में इस प्रणाली का विकास अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया.
  • इस प्रणाली के द्वारा लार्ड वैल्जली ने भारत के एक विस्तृत भू-भाग पर कब्जा कर लिया.

यह सहायक संधि प्राय: निम्नलिखित शर्तों के आधार पर की जाती थी.–

  1. भारतीय राजाओं के विदेशी संबंध कम्पनी के माध्यम से संचालित होंगे.
  2. बड़े राज्यों को अंग्रेजी अधिकारियों के प्रभुत्व वाली एक सेना अपने प्रदेश में रखनी होती थी. इस सेना का उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखना था. इस सेना के लिए राजा को एक “पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्न प्रदेश” कम्पनी को देना होता था. छोटे राज्यों को इसके बदले नकद धन का भुगतान करना पड़ता था.
  3. राज्य की राजधानी में एक अंग्रेजी रेजीडेन्ट को रखना आवश्यक होता था.
  4. राज्य कम्पनी की पूर्व अनुमति के बिना किसी यूरोपीय व्यक्ति को अपनी सेवा में नहीं रख सकते थे.
  5. कम्पनी राज्य के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का वचन देती थी.
  6. कम्पनी राज्य की प्रत्येक प्रकार के शत्रुओं से रक्षा करती थी.

सहायक संधि के कम्पनी को लाभ(Advantages of Subsidiary Alliance to the Company)

सहायक संधि से कम्पनी को निम्नलिखित लाभ हुए-

  1. इसके माध्यम से कम्पनी भारतीय राज्यों को प्रभावी रूप से अपने संरक्षण में ले आई इस संधि के बाद भारतीय राज्य मुख्य रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध कोई संघ न बना सके.
  2. इस संधि के माध्यम से कम्पनी को एक ऐसी विशाल और शक्तिशाली सेना मिल गई जिसका सम्पूर्ण व्यय भारतीय राज्यों पर भारित था.
  3. इस संधि के माध्यम से कम्पनी भारतीय राज्यों के व्यय से निर्मित सेना का भारतीय राज्यों के विरुद्ध प्रयोग कर सकी.
  4. इसके माध्यम से कम्पनी भारत के एक विशाल भू-भाग पर कब्जा करने में सफल रही.
  5. इस प्रणाली के माध्यम से कम्पनी ने भारत में योजनाओं को सफलतापूर्वक विफल कर दिया क्योंकि इस संधि की व्यवस्थाओं के अनुसार सहायक संधि करने वाला कोई भी राज्य कम्पनी की अनुमति के बिना किसी भी यूरोपीय नागरिक को अपनी सेवा में नहीं रख सकता था.
  6. इस संधि के द्वारा कम्पनी भारतीय राज्यों के आपसी विवादों एवं संबंधों में मध्यस्थता की भूमिका अदा करने लगी.
  7. राज्य की राजधानी में स्थित अंग्रेज रेजीडेट काफी प्रभावशाली हो गए और आगे चलकर उन्होंने राज्य के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करना प्रांरभ कर दिया.
  8. इस संधि के माध्यम से कम्पनी पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्न प्रदेशों के एक बड़े भाग की स्वामी बन गई.

सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्य थे-

  • हैदराबाद (सितम्बर, 1798 और 1800),
  • मैसूर (1799),
  • तंजोर (अक्टूबर, 1799),
  • अवध (नवम्बर, 1801),
  • पेशवा (दिसम्बर, 1801),
  • बराड़ के भोंसले (दिसम्बर, 1803),
  • सिंधिया (फरवरी, 1804)
  • तथा जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूंदी और भरतपुर .

भारतीय राज्यों को हानियां (Disadvantages to the Indian States)

यह संधि निम्नलिखित प्रकार से भारतीय राज्यों के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध हुई

  1.  इस संधि के द्वारा अपने विदेशी संबंधों को कम्पनी के सुपुर्द कर भारतीय राजाओं ने अपनी स्वतंत्रता खो दी. 
  2. राज्य की राजधानी में स्थित अंग्रेज रेजीडेन्ट के माध्यम से कम्पनी ने इन राज्यों के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया.
  3. अंग्रेजी सेना की उपस्थिति के कारण भारतीय जनता अपने निर्बल और उत्पीड़क राजा के विरुद्ध विद्रोह नहीं कर सकती थी.
  4. इस संधि के द्वारा कम्पनी ने राज्य की आय का एक-तिहाई भाग आर्थिक सहायता के रूप में प्राप्त करना आरंभ कर दिया. इतनी बड़ी राशि को अदा करते-करते भारतीय राजा शीघ्र ही दीवालिया हो गए.
  5. धन न देने की स्थिति में प्रदेश देने पड़ते थे. कई बार तो 40 लाख रुपयों के बदले कम्पनी ने 62 लाख रुपये वार्षिक कर वाले प्रदेश पर कब्जा कर लिया.

अत: कुल मिलाकर यह संधि भारतीय राजाओं के लिए हानिकारक रही.

लार्ड वैल्जली और फ्रांसीसी भय (Lord Wellesley and the French Menace)

  • 1797 में लार्ड वेल्जली का भारत में आगमन हुआ.
  • लगभग इसी समय फ्रांस के विरुद्ध यूरोपीय शक्तियों का बना हुआ मोर्चा खंडित हो चुका था.
  • नैपोलियन मिस्र और सीरिया को हस्तगत कर भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था.
  • वह सिकन्दर महान की भांति एलेग्जेन्ड्रिया से भारत पर हमला करना चाहता था.
  • 1801 में नैपोलियन ने रूस के ज़ार पॉल से सन्धि की.
  • इस संधि (पॉल से सन्धि) के द्वारा वह भारत पर आक्रमण के लिए रूसी सैन्य सहयोग को प्राप्त करने में सफल हो गया.
  • इस संधि के द्वारा यह भी तय किया गया कि हरात फरहि और कन्धार के मार्ग से भारत पर आक्रमण किया जाएगा.
  • अंग्रेजों को भी उस समय तक स्थल पर नैपोलियन की अदम्य शक्ति का आभास मिल चुका था.
  • लार्ड वैल्जली यह जानता था कि कम्पनी का पुराना शत्रु मैसूर का टीपू सुल्तान नैपोलियन से पत्राचार के द्वारा भारत से अग्रेजों को निकालने को योजना बना रहा है.
  • टीपू सुल्तान फ्रासोसियों से एक कम एवं रक्षात्मक संधि करने में भी सफल हो गया था.
  • 1795 में खारड़ा के स्थान पर मराठों के द्वारा निजाम को पराजय के बाद अंग्रेजों ने उसका साथ छोड़ दिया था.
  • अतः अंग्रेजों से निराश होकर निजाम ने फ्रांसीसियों के सहयोग से एक बड़ी सेना तैयार कर ली.
  • निजाम ने फ्रांसीसी कमाण्डर मंस्यूर रेमण्ड (Monsieur Raymond) को अपने यहां नियुक्त कर लिया.
  • निजाम के इन कार्यों से वैल्जली भली-भांति परिचित था.
  • वैल्जली को यह भी ज्ञात था कि मराठा सरदार महादजी सिन्धिया ने भी फ्रांसीसियों के सहयोग से एक विशाल सेना तैयार कर ली है.
  • निश्चय ही इस सेना का प्रयोग नैपोलियन के माध्यम से अंग्रेजों के विरुद्ध किया जाना था.
  • इसके अलावा महाराजा रणजीत सिंह भी अपनी सेना को शक्तिशाली बनाने के लिए फ्रांसीसी ऊमाण्डरों का दौरा कर रहा था.
  • काबुल का जमान शाह भी भारत पर आक्रमण की योजना बना रहा था.
  • इस प्रकार भारत में फ्रांसीसियों की बढ़ती शक्ति से लार्ड वैल्जली को ब्रिटिश साम्राज्य के भविष्य की चिंता होने लगी.
  • उसने शीघ्र ही अपने चातुर्य से उक्त फ्रांसीसी भय को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रयत्न किए-
  1. सर्वप्रथम उसने बंगाल से युद्ध कोष के लिए विशाल धनराशि एकत्र कर इंग्लैण्ड भेजी.
  2. 1798 में वैल्जली ने निजाम को युद्ध अथवा सहायक संधि में से किसी एक को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया. ब्रिटिश सेना का मुकाबला करने में असमर्थ निजाम ने सहायक संधि स्वीकार कर ली. उसने फ्रांसीसी सैनिकों तथा अफसरों को युद्ध बन्दी बनाकर कलकत्ता भेज दिया इस प्रकार हैदराबाद में फ्रांसीसी प्रभाव समाप्त हो गया.
  3. टीपू सुल्तान द्वारा सहायक संधि अस्वीकार किए जाने पर फरवरी, 1799 में टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के मध्य युद्ध प्रारंभ हो गया. 4 मई 1799 को श्रीरंगपट्टम का दुर्ग जीत लिया गया. टीपू सुल्तान ने लड़ते-लड़ते वीर गति प्राप्त की. मैसूर की सत्ता मैसूर के प्राचीन हिन्दू राजवंश को सौंप दी गई.
  4. फ्रांसीसी आक्रमण की योजनाओं को निष्फल करने के लिए वैल्जली नै अवध को सहायक संधि स्वीकार करने के लिए बाध्य किया. अवध के नवाब ने संधि स्वीकार कर ली और रूहेलखण्ड तथा दोआब के उत्तरी किले सहायक सेना के व्यय हेतु प्रदान किए.
  5. 1802 में मराठा सरदार महादजी सिंधिया को भी सहायक संधि स्वीकार करने के लिए बाध्य किया गया. सिंधिया और भोंसले ने इसका तीव्र विरोध किया किन्तु अन्ततः उन्हें सहायक संधि स्वीकार करनी पड़ी. पूना में सहायक सेना तैनात कर दी गई. इस प्रकार मराठी प्रदेश से भी फ्रांसीसी प्रभाव समाप्त हो गया.
  6. गोआ को फ्रांसीसियों से रक्षा करने के लिए पुर्तगालियों की अनुमति से गोवा में अंग्रेजी सेना तैनात कर दी गई.
  7. 1800 वैल्जली ईरान के शाह से संधि करने में सफल हो गया. इस संधि के द्वारा शाह ने फ्रांसीसियों को अपने देश में आने की अनुमति न देने का वचन दिया.
  • इस प्रकार लार्ड वैल्जली अपनी कुटनीति, सैन्य शक्ति तथा सुनियोजित नीति के बाल से न केवल फ्रांसीसियों से भारत को बचाने में सफल रहाअपितु उसने ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार भी किया.

मूल्यांकन (Evaluation)

  • लार्ड वैल्जली (लार्ड वेल्जली) की उपलब्धियों का मूल्यांकन करते हुए यह कहा जा सकता है कि उसके आगमन से पूर्व ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत की अनेक शक्तियों में से एक थी किन्तु वैल्जली के शासन काल में कम्पनी भारत की एक सर्वोच्च शक्ति बन गई.
  • वैल्जली के बाद समस्त भारत की रक्षा का उत्तरदायित्व कम्पनी ने अपने ऊपर से लिया.
  • 1805 में कलकत्त-मद्रास और मद्रास-बम्बई के मध्य सीधा सम्पर्क स्थापित हो गया.
  • अब इस सम्पर्क में बाधा डालने के लिए स्वतंत्र भारतीय राज्य उपस्थित नहीं थे.
  • दिल्ली, आगरा और उसके आस-पास के क्षेत्र तथा यमुना नदी के दोनों ओर के क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन आ चुके थे.
  • इनके अलावा रुहेलखण्ड, बुन्देल खण्ड, कटक और गुजरात के महत्वपूर्ण प्रदेश तथा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तटवर्ती प्रदेश-सूरत, तंजोर, कर्नाटक और निजाम के कुछ प्रदेश प्री कम्पनी के अधीन आ गए थे.
  • वैल्जली ने सुनियोजित नीति के द्वारा शीघ्र ही ब्रिटिश साम्राज्य को फ्रांसीसियों से मुक्त कर लिया.
  • किन्तु वैलजली के संबंध में यह निश्चित मत है कि उसके तौर-तरीके उन तरीकों से कहीं ज्यादा उद्धत और तानाशाही पूर्ण थे जिनके लिए 12 वर्ष पूर्व वॉरेन हेस्टिंग्ज पर महाभियोग लगाया गया था.

लार्ड वेल्जली (LORD WELLESLEY)

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