विषाणु (Virus)

विषाणु (Virus)

वायरस : सजीव या निर्जीव (Virus : Living or Non-living) 

  • विषाणु (Virus) अति सूक्ष्म, परजीवी, अकोशिकीय (Non-Cellular) और विशेष न्युक्लियोप्रोटीन (Nucleoprotein) कण हैं. 
  • विषाणु (Virus) सजीव एवं निर्जीव के मध्य की कड़ी हैं. 
  • वायरस बैक्टीरिया से भी ज्यादा सूक्ष्म जीव हैं. 
  • अधिकांश वायरस जंतुओं व पौधों में घातक रोग उत्पन्न करते हैं. 
  • वायरस को क्रिस्टीलीय अवस्था में अलग करके संचित किया जा सकता है किंतु ये केवल जीवित कोशिका के अंदर वृद्धि कर सकते हैं. 
  • वाइरस के अस्तित्व की खोज रूसी वैज्ञानिक आइवनोस्की (Iwanosky) ने 1892 में तम्बाकू के पौधों में चितेरी रोग (Tobacco Mosaic Disease) के कारण का निरीक्षण करते समय की थी. 
  • इस रोग के फलस्वरूप तम्बाकू के पौधों की पत्तियाँ धब्बेदार हो जाती हैं. 
  • 1935 में स्टैलने (Stanley) ने तम्बाकू के रोगी पौधे से वायरस-TMV को क्रिस्टलीय अवस्था में पृथक किया. 
  • बॉडन (Bawden, 1936) तथा डारलिंग्टन (Darlington, 1944) ने बताया कि वाइरस न्यूक्लिओप्रोटीन्स के बने हैं जो जंतुओं व पादपों के गुणसूत्रों के न्यूक्लिओप्रोटीन्स के समान होते हैं. 
  • अधिकांश वायरस परजीवी होते हैं. 
  • ये जंतुओं, पेड़-पौधों व बैक्टीरिया सभी में पाये जाते हैं. 
  • जंतुओं के वायरस जन्तु-वायरस (Animal Viruses), पादपों के वायरस पादप वायरस (Plant Viruses) तथा बैक्टीरिया में वास करने वाले वायरस बैक्टीरियोफेज (bacteriophage) या जीवाणुभोजी कहलाते हैं. 

सामान्य लक्षण (General Characteristics) 

  • विषाणुओं (वायरस) की स्थिति प्रारम्भ से ही विवादग्रस्त रही है. 
  • अतिसूक्ष्म एवं सरल होने के कारण यह कहना कठिन है कि ये सजीव हैं या निर्जीव. 

विषाणु के निर्जीव होने के लक्षण

  1. विषाणु कोश रूप में नहीं होते हैं तथा इनमें बहुत से कोशिकीय अंग नहीं पाये जाते. 
  2. वाइरसमें पोषण, श्वसन, वृद्धि, उत्सर्जन और उपापचय क्रियाएं नहीं होती है.
  3. वाइरसके रवे को क्रिस्टल बनाकर निर्जीव पदार्थ की भाँति बोतलों में भरकर वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. 
  4. प्रत्येक वाइरस प्रोटीन खोल में बन्द एक RNA या DNA का अणु होता है. 

विषाणु वाइरस के सजीव जैसे लक्षण

  1. विषाणु में न्यूक्लिक अम्ल का द्विगुणन होता है. 
  2. किसी जीवित कोशिका में पहुँचते ही ये संक्रिय हो जाते हैं, और एन्जाइमों का संश्लेषण करने लगते हैं. 
  3. सजीव कोशिकाओं की भाँति इनमें भी RNA अथवा DNA मिलता है. 
  • उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर आधुनिक वायरस-विशेषज्ञ वायरस को सजीव कोशिकाओं एवं निर्जीव के बीच की कड़ी मानते हैं 
  • क्यों कि इनमें कुछ गुण निर्जीव के तथा कुछ गुण सजीव के होते हैं. 

विषाणु की संरचना (Structure of Virus) 

  • विषाणु की संरचना को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखा जा सकता है. 
  • विषाणु रचना में प्रोटीन के आवरण से घिरा न्यू-क्लिक अम्ल होता है. 
  • इसका बाहरी आवरण या Capsid में बहुत सी प्रोटीन इकाइयाँ (Capsomeres) होती हैं. 
  • संपूर्ण विषाणुओं को ‘विरियान’ (Virion) नाम से सम्बोधित करते हैं. 
  • इनका आकार 10-500 मिलीमाइक्रोन (mu) होता है. 
  • परपोषी प्रकृति के आधार पर विषाणु को तीन भागों में बाँटा गया है. 

(1) पादप विषाणु (Plant Virus)

  • पादप विषाणु में न्यूक्लिकअम्ल आर.एन.ए. (RNA) के रूप में होता है. 
  • जैसे टी.एम.वी. (TMV), पीला मोजैक विषाणु (YMV) आदि .

(2) जन्तु विषाणु (Animal Virus)

  • जन्तु विषाणु में डी.एन.ए. (DNA) या कभी-कभी आर.एन.ए. (RNA) भी पाया जाता है. 
  • ये प्रायः गोल आकृति के होते हैं. जैसे—इन्फ्लूयेंजा, मम्पस वाइरस आदि .

(3) बैक्ट्रियोफेज (Bacteriophage) या जीवाणु भोजी

  • ये केवल जीवाणुओं के ऊपर आश्रित रहते हैं. 
  • इनमें डी.एन.ए. (DNA) पाया जाता है. जैसे—टी-2 फेज (T2-phase).

विषाणु जनित रोग (Viral Diseases)

पौधों में विषाणु जनित रोग (Viral Diseases in Plants)

टी. एम. वी. (Tobacco Mosaic Virus)

  • यह तम्बाकू की पत्तियों पर होता है.

बंकी टाप आफ बनाना (Bunchy Top of Banana)

  • यह बनाना वाइरस-1 से होता है. 
  • इनसे केले की फसल को काफी नुकसान होता है. 
  • भारत में यह रोग श्रीलंका से आया है.

पौटैटो वाइरस (Potato Mosaic Virus)

  • आलू की पत्तियाँ चितकबरापन (Mosaic) प्रदर्शित करती हैं. 

मनुष्यों में विषाणु जनित रोग (Viral Diseases in Humans)

Chicken pox

रोग का नामChicken pox
विषाणु का नामVaricella-zoster virus
संचरणग्रसित व्यक्ति के कपड़ों तथा अन्य चीजों के सम्पर्क से. 
संक्रमण अवधि12 से 16 दिन.
मुख्य लक्षणइसके मुख्य लक्षण रोग के 14 दिन बाद प्रकट होते हैं. बुखार हो जाना, ठंड लगना, त्वचा पर लाल रंग के गोल-गोल दाने के समान फुसियों का निकल आना तथा उनमें खुंटियों का पड़ जाना.
उपचारत्वचा पर कालामाईन मलहम (Calamine Lotion) लगाना, रोगी को अलग रखना.

खसरा (Measles)

रोग का नामखसरा (Measles)
विषाणु का नामMyxo virus
संचरणहवा के द्वारा, प्रत्यक्ष सम्पर्क के द्वारा बातचीत करने,खांसने से.
संक्रमण अवधि12 से 21 दिन.
मुख्य लक्षणशुरू में नाक बहना तथा छींके होना, सिर दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना तथा बुखार हो जाता फिर उसके पश्चात श्वसन श्लेषमा झिल्ली में सूजन तथा प्रवाह का होना, शरीर पर चकत्तों का होना, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, प्रकाश के प्रति संवेदन शील होना आदि लक्षण होते हैं.
उपचारगामा ग्लोबुलीन (Gamma Globulin) का टीकालेना.

रेबीज या हाईड्रोफोबिया (Rabies or Hydrophobia)

रोग का नामरेबीज या हाईड्रोफोबिया (Rabies or Hydrophobia) 
विषाणु का नामRhabdovirus 
संचरणपागल कुत्ते का काटना.
संक्रमण अवधि2 से 16 सप्ताह या इससे भी अधिक
मुख्य लक्षणसिर में भयंकर बुखार तथा उत्तेजना का होना,निगलने (Swallowing) में परेशानी का होना, लकवा हो जाना, पानी को देखकर डरना, आवाज बदल जाना आदि.
उपचार14 दिन तक लगातार सुई (Injection) लेना.

Mumps

रोग का नामMumps
विषाणु का नामParamyxovirus
संचरणप्रत्यक्ष सम्पर्क के द्वारा.
संक्रमण अवधि12 से 21 दिन.
मुख्य लक्षणबुखार हो जाना, विषाणु के जमा होने वाले अंग अथवा ग्रंथि का फूल जाना (Parotid) ग्रंथि के फूलने की स्थिति में व्यक्ति को मुंह खोलने में काफी दर्द होता है.
उपचारवैक्सिन (Vaccine) के प्रयोग द्वारा.

इन्फ्लुएन्जा या फ्लू (Influenza or Flu)

रोग का नामइन्फ्लुएन्जा या फ्लू (Influenza or Flu)
विषाणु का नामOrthomix virus 
संचरणरोग से ग्रसित व्यक्ति के श्वसन संस्थान (Respiratory Tract of Discharges) से 
संक्रमण अवधि1 से 2 दिन.
मुख्य लक्षणबुखार, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, सूखी खांसी, श्वसन क्षेत्र में प्रदाह.
उपचारटीका लगाना.

पोलियो (Poliomyelitis)

रोग का नामपोलियो (Poliomyelitis)
विषाणु का नामEnterovirus
संचरणसम्पर्क, घरेलू मक्खियों, पिस्सूओं, दूषित भोजन तथा जल के द्वारा.
संक्रमण अवधि7 से 14 दिन.
मुख्य लक्षणशुरू में सिर दर्द, पेट में गड़बड़ी, उल्टी, अत्यधिक बुखार, गले का रूण्ण होना आदि होता है. बाद में कमजोरी, गर्दन तथा पीठ का अकड़ना तथा शरीर के एक अथवा अधिक भाग का लकवाग्रस्त हो जाना होता है.
उपचारपोलियो के टीके का प्रयोग.

डेंगू बुखार (Dengue Fever)

रोग का नामडेंगू बुखार (Dengue Fever)
विषाणु का नामArbovirus
संचरणमच्छर (Aedes) के काटने से.
संक्रमण अवधि4 से 8 दिन.
मुख्य लक्षणसिर दर्द तथा बुखार होना, जोड़ों (Joints) में तथा पीठ की मांस पेशियों में दर्द होना. कुछ दिनों के लिए शरीर पर चकत्ते हो जाना.
उपचारमच्छरों के काटे जाने से बचें .

छोटी माता (Small pox)

रोग का नामछोटी माता (Small pox)
विषाणु का नामVariola virus
संचरणछोटी बूंदो (Droplets) के प्रत्यक्ष सम्पर्क अथवा संक्रमित वस्तुओं अप्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा.
संक्रमण अवधि12 दिन
मुख्य लक्षणअत्यधिक बुखार होना, सिर तथा पीठ में दर्द होना, तीसरे दिन त्वचा पर चकत्तों (Rasb) का निकल आना. 
उपचारचेचक के टीके का प्रयोग.

एड्स (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) 

रोग का नामएड्स (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) 
विषाणु का नामHIV (Human Immuno Virus).
संचरणलैंगिक संबंध के कारण तथा शुक्राणु के द्वारा, संक्रमित रक्त के शरीर में डाले जाने से.
मुख्य लक्षणशरीर के वजन से 10% या उससे अधिक की कमी, अज्ञात कारण से बुखार हो जाना, मुँह में फोड़े निकल आना.

महत्वपूर्ण खोज और वैज्ञानिक का नाम

वर्षवैज्ञानिक खोज का नाम
1892इवानोवस्की (Iwanasky)तम्बाकू में मोजैक रोग का कारण विषाणुओं को बताया.
1898बीजरिंक पादप रस को जीवित तरल संक्रामक कहा.
1892-1906गोर्नरी और पाश्चनस्माल-पाक्स विषाणु (Small Pox Virus) की खोज की.
1901रीड (Reed)पीतज्वर विषाणु (Yellow Fever Virus) 
1908 पापर (Popper)पोलियो वायरस की खोज की.
1906 साबिन (Sabin)पोलियो का टीका (Polio Vaccine)
1915 ट्वार्ट और डी हैरैलीबैक्टिरियो फेज (Bacteriophage)
1933 स्मिथ (Smith) इन्फ्लूएंजा (Influenza) विषाणु की खोज .
1938प्लाज (Platz) मीजल्स (Measles) विषाणु की खोज.
1935डब्लू. स्टेनले (W. Stanley)विषाणु को क्रिस्टल के रूप में बनाया और प्रोटीन माना. इस कार्य के लिए सन् 1946 ई. में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
1938बावडेन (Bauwden)विषाणु में प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्ल की खोज की.
1942हर्शे और चेसविषाणु का केवल डी.एन.ए. अथवा आर. एन. ए. ही परपोषी कोशिका में प्रवेश करता है.

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