- शैवाल मुख्य रूप से जलीय पौधे हैं. अधिकाशंत: algae समुद्र में उगते हैं जिनको समुद्री वीड कहते हैं.
- शैवाल की बहुत सी जातियाँ स्वच्छ पानी में उगती हैं जैसे-नदी, झील, तालाब, पोखर व पानी से भरे हुए गड्ढे आदि.
- इस प्रकार के शैवालों को स्वच्छ जलीय शैवाल कहते हैं.
- कुछ शैवाल गीली मिट्टी, पुरानी दीवारों, वृक्षों की छाल, चट्टानों तथा लकड़ी के लट्ठों पर भी उगते हुए दिखाई देते हैं.
- कुछ algae अन्य पौधों की जड़ों में रहते हैं जैसे- साइकस (Cycas) की जड़ों में एनाबीना (Anabaena) तथा ऐन्थोसिरोस (Anthoceros) में नॉस्टॉक (Nostoc).
- कुछ शैवाल कवकों के साथ मिलकर सहवास करते हैं और इनको लाइकेन (Lichens) कहते है.
दो किंगडम वाले वर्गीकरण के थैलाफाइटा वर्ग में शैवाल व कवक को रखते हैं. इन पौधों में थैलस होता है.
शैवालों की शारीरिक रचना (Vegetative Structure)
शैवाल दो प्रकार के होते हैं-
- एककोशिकीय (Unicellular)
- बहुकोशिकीय (Multicellular)
एककोशिकीय शैवाल में चल (Motile) एवं अचल (Nonmotile) दो प्रकार के शैवाल होते हैं.
- चल शैवालों में कशाभ (Flagella) के द्वारा गति होती है जैसे- क्लैमाइडोमोनास (Chlamydomonas).
- अचल स्थिर शैवाल अर्थात् इनमें गति नहीं होती जैसे- क्लोरेला (Chlorella).
बहुकोशिकीय शैवाल का थैलस सरल, तैरती हुई कोशिकाओं के पुंज से लेकर तंतुमयी अथवा कोशिका की शीट तक हो सकता है.
- तंतु तथा शीट प्रायः संलग्नक द्वारा अवस्तर से जुड़े रहते हैं.
- कुछ शैवाल जटिल तथा 60 मीटर तक लंबे हो सकते हैं. उनमें कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाए भी होती हैं.
- उनमें लैमीना होते हैं. जो कभी-कभी बेशाखीय होते है और स्टाइप से जुड़े रहते हैं .
- लैमीना प्रकाश संश्लेषी ऊतक होते हैं. स्टाइप के दूसरे सिरे पर संलग्नक होते हैं.
- एककोशिकीय शैवालों की कोशिकाएँ वृत्ताकार या अण्डाभ होती.
- निवाह की कोशिकाएं भी इसी प्रकार की होती हैं किंतु, तन्तुवत शैवालों में कोशिकायें आयताकार होती हैं और एक दूसरे के ऊपर स्थित होकर तन्तु बनाती हैं.
- कोशिका-भित्ति सेलूलोस व पेक्टिन पदार्थों की बनी होती है.
- कभी-कभी काइटिन भी कोशिका-भित्ति के निर्माण में भाग लेता है.
अधिकांश algae एककेन्द्रकीय होते हैं किन्तु कुछ शैवाल बहुकेन्द्रकीय भी होते हैं, जैसे-
वोकेरिया (Vaucheria),
नॉस्टाक (Nostoc) व
ओसिलेटोरिय (Oscillatoria)
इनमें निश्चित केन्द्रक का अभाव होता है.
- क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण shaivaal स्वपोषित होते हैं और ये सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश-संश्लेषण करके अपना कार्बनिक भोजन स्वयं बनाते हैं.
- कुछ शैवालों में क्लोरोफिल के अतिरिक्त अन्य वर्णक भी उपस्थित होते हैं.
- अतः वर्णक के आधार पर शैवाल कई प्रकार के होते हैं, जैसे हरे शैवाल, भूरे शैवाल तथा लाल शैवाल इत्यादि.
अधिकाशं शैवालों में क्लोरोफिल विशेष प्रकार के लवकों (Plestid) में उपस्थित रहता है.
- इनको क्लोरोप्लास्ट या हरित-लवक कहते हैं.
- algae की विभिन्न जातियों के क्लोरोप्लास्ट की आकृति अलग-अलग प्रकार की होती है जैसे- यूलोथिक्स में कालर के समान, स्पाइरोगायरा में सप्रिलाकार, वौकेरिया में डिस्क के समान तथा ईडोगोनियम में जालिकावत् इत्यादि .
- प्रत्येक क्लोरोप्लास्ट में एक या अधिक पायीरीनॉइड होते हैं.
- ये स्टार्च-संश्लेषण के केन्द्र हैं.
- वौकेरिया में पाइरीनॉइड का अभाव होता है क्योंकि इसमें संचित भोजन तेल के रूप में होता है.
शैवालों में प्रजनन (Reproduction in Algae)
शैवालों में तीन तरह की प्रजनन क्रिया होती है-
- वर्धी प्रजनन
- अलैंगिक प्रजनन
- लैंगिक प्रजनन
वर्धी प्रजनन
- वर्धी जनन अनुकूल परिस्थितियों में तन्तुओं के विखंडन से होता है.
- प्रत्येक खण्डित भाग की कोशिकायें विभाजन करके शैवाल का नया तन्तु बनाती हैं.
अलैंगिक प्रजनन
- अलैंगिक प्रजनन जूस्पोर्स या चलबीजाणुओं, ऐप्लनोस्पोर, पामेला अवस्था या निश्चेष्ट बीजाणुओं द्वारा होता है.
लैंगिक प्रजनन
- लैंगिक जनन युग्मकों के सहयोग से होता है युग्मक, युग्मक-धानियाँ या गैमीटेन्जिया (Gametangia) में विकसित होते हैं.
शैवाल का वर्गीकरण (Classification of algae)
आधुनिक वर्गीकरण के अनुसार शैवाल को सात फाइलमों (Phyla) में विभक्त किया गया है.
फाइलम 1- साइनोफाइटा (Cyanophyta)
- ये आदिम (Primitive) प्रकार के शैवाल हैं जिनमें निश्चित केन्द्रक का अभाव होता है. केन्द्रीय पदार्थ कोशिकाद्रव्य में बिखरा रहता है.
- प्लैस्टिड की अनुपस्थिति के कारण क्लोरोफिल कोशिका भित्ति के साथ कोशिकाद्रव्य में विसरित रहता है.
- क्लोरोफिल के साथ-साथ इनमें फाइकोसाइनिन (Phycocyanin) नामक नीला वर्णक भी होता है. इसी कारण ये नीले हरे शैवाल कहलाते हैं.
- संचित भोजन ग्लाइकोजन (Glycogen) या ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein) होता है.
- पादप शरीर एककोशिकीय या अलग्न कोशिकाओं के निवाह (Colony) के रूप में होता है.
- जनन एकमात्र रूप में अलैंगिक अर्थात् विखण्डन द्वारा होता है.
फाइलम 2- यूग्लिनोफाइटा (Euglenophyta)
- ये उच्च श्रेणी के शैवाल हैं जिनमें निश्चित केन्द्रक होता है और क्लोरोफिल सुनिश्चित क्लोरोप्लास्ट में केन्द्रित रहता है.
- ये हरे शैवालों के समान होता है, सिवाय इसके कि इनमें संचित भोजन माँड न होकर पेरामाइलम (Paramylum) होता है.
- इनमें चलन के लिये एक, दो या चार कशाभिकायें होती हैं.
- जनन मुख्य रूप से अलैंगिक होता है. यह अनुदैर्घ्य विभाजन (Longitudinal division) द्वारा होता है.
- अनेक जातियाँ विश्रामावस्था में सिस्ट या पुटिकायें (Cysts) बनाती हैं.
फाइलम 3- क्लोरोफाइटा (Chlorophyta)
- ये हरे शैवाल हैं. इनकी कोशिकाओं में निश्चित केन्द्रक व क्लोरोप्लास्ट होते हैं.
- संचित भोजन माँड (Starch) के रूप में होता है.
- क्लोरोप्लास्ट में एक या अधिक पाइरीनाइड होते हैं.
- कोशिका भित्ति सैलूलोस की बनी होती है.
फाइलम 4- क्रिसोफाइटा (Chrysophyta)
- ये हरे-पीले शैवाल हैं. इनमें क्लोरोफिल के साथ-साथ लवणों या प्लैस्टिड में एक पतला हरा वर्णक भी मिलता है.
- पौधे एककोशिकीय, बहुकोशिकीय या निवाह (Colony) के रूप में होते हैं.
- कोशिका-भित्ति दो परस्पर व्यापी अर्धभागों से मिलकर बनती है जिनमें अक्सर सिलिका के कण अन्तःक्षेपित होते हैं.
- कोशिकाओं में कशाभिकायें उपस्थित या अनुपस्थित होती हैं.
- जनन अलैंगिक व लैंगिक दोनों विधियों द्वारा होता है.
- इस फाइलम के अन्तर्गत पीले-हरे शैवाल, सुनहरी-भूरे शैवाल तथा डायटम रखे गये हैं. उदाहरण–क्लोरोक्रोमोनास (Chlorochromonas), बोट्रीडियम (Botrydium) आदि.
फाइलम 5- फियोफाइटा (Phaeophyta)
- फियोफाइटा भूरे algae हैं जिनमें क्लोरोफिल के साथ-साथ एक भूरा वर्णक फ्युकोजैन्थिन (Fucoxanthin) भी होता है.
- ये समुद्री पौधे हैं जिनमें से अधिकांश आकार में बहुत लम्बे होते हैं. कैल्प (Kelp) कहलाने वाले शैवाल जैसे- फ्यूकस (Fucus), लेमिनेरिया (Laminaria) आदि भूरे शैवाल 80 मीटर लम्बे होते हैं.
- इनमें संचित भोजन लेमिनेरिन (Laminarin) के रूप में होता.
- प्रायः प्रत्येक कोशिका में एक से अधिक लवक (प्लैस्टिड) होते हैं किन्तु इनमें पाइरीनॉइड नहीं होते. उदाहरण– फ्यूकस (Fucus), लेमिनेरिया (Laminaria), माइक्रोसिस्टिस (Microcystis), सारगैसम (Sargassam)
फाइलम 6- रोडोफाइटा (Rhodophyta)
- रोडोफाइटा (Rhodophyta) लाल शैवाल है जिनमें क्लोरोफिल के अतिरिक्त लाल वर्णक फाइकाएरिथ्रिन (Phycoerythrin) भी होता है.
- रोडोफाइटा समुद्री शैवाल हैं जिनको समुद्री मॉस (Sea mosses) भी कहते हैं.
- लाल रंग के कारण ये अत्यधिक आकर्षक प्रतीत होते हैं
- इनमें संचित भोजन फ्लोरोडियन माँड (Floridean Starch) के रूप में होता है. उदाहरण-पोलीसाइफोनिया (Polysiphonia), कॉन्ड्रस (Chondrus), निमालियन (Nemation) आदि.
फाइलम 7–पिरोफाइटा (Pyrrophyta)
- पिरोफाइटा (Pyrrophyta) पीले-भूरे शैवाल हैं इस algae में क्लोरोफिल के अतिरिक्त एक पीला-भूरा वर्णक भी होता है.
- इन Pyrrophyta शैवालों में संचित भोजन तेल व मांड के रूप में होता है.
- यह शैवाल मुख्य रूप से समुद्र में पाये जाते हैं तथा इनके अलावा स्वच्छ जल में भी मिलते हैं.
- अधिकांश शैवाल एककोशिकी व द्विकशाभिकी (Biflagellate) होते हैं.
उदाहरण- डाइनोफ्लजलैट्स (Dinoflagellates) व क्रिप्टोमोनाड (Cryptomonad).
अन्य शैवाल (Other Algae)
- प्रकाश संश्लेषी तथा सहायक वर्णकों के स्वभाव से लाल, भूरे तथा हरे शैवाल में अंतर कर सकते हैं.
- शैवाल के इन तीनों वर्गों में बहुकोशिकता स्वतंत्र रूप में पाई जाती है.
- स्थल पर ऐसा कोई भी पौधा नहीं है जिनके पूर्वत्त लाल अथवा भूरे शैवाल न हों.
- ऐसा इसकी कोशिका के रासायनिक अध्ययन से पता लगता है.
- लेकिन सारे स्थली पौधों, (ब्रायोफाइट तथा ट्रेक्यिोफाइट) में प्रकाश संश्लेषी वर्णक कोशिका भित्ति की रचना तथा संचय पदार्थ वैसे ही होते हैं जैसे हरे शैवाल में पाए जाते हैं.
- इसी कारण हरे शैवालों को स्थलीय पौधों का पूर्वज मानते हैं.
हरे शैवाल या क्लोरोफाइटा
(ग्रीक भाषा में क्लोरोस = हरा, फाइटोन = पौधा)
- विभिन्न माप तथा आकार के होते हैं.
- कुछ हरे शैवाल, एककोशिकीय तथा सूक्ष्मदर्शी (क्लैमाइडोमोनास फ्लैंजिला युक्त तथा क्लोरेला फ्लैंजिला विहीन) होते हैं, कुछ कॉलोनियों में होते हैं जैसे वॉलवॉक्स, कुछ तंतुमयी होते हैं जैसे- यूलोथिक्स तथा स्पाइरोगाइरा.
- इनके अलावा कुछ ऐसे होते हैं, जिनमें कोशिका की दो सतहें तथा संलग्नक होते हैं जैसे अल्वा .
- बहुत से हरे शैवाल अलवणीय जल में पाये जाते हैं तथा कुछ समुद्र में.
- कुछ हरे शैवाल स्थलीय होते हैं तथा किसी भी नम स्थान पर पाए जा सकते हैं.
- कुछ हरे शैवाल एपिफिटिक होते हैं जो अन्य पौधों पर रहते हैं.
- हरे शैवाल में क्लोरोफिल- a तथा b व कुछ कैरोटिनाइड होता है.
- यह स्थलीय पौधों की तरह क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना में होते हैं. उनकी कोशिका भित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है और उनमें स्टार्च संचित होता है.
- उनमें अलैंगिक तथा लैंगिक प्रक्रिया द्वारा जनन होता है.
- अगुणित एककोशिकीय जीव अगुणित प्रोटिस्ट की तरह चल बीजाणु बनाते हैं और उनमें युग्मनज मिऑसिस होता है.
- क्लैमाइडोमोनास चल बीजाणु के द्वारा अलैंगिक जनन करते हैं.
- दो माइटोटिक विभाजनों से सामान्यत: चार चल बीजाणु बनते हैं .
- लैंगिक जनन के समय बहुत से फ्लैंजिलायुक्त युग्मक बनते हैं. इस क्रिया में अलग-अलग कोशिकाओं के युग्मक संगलित होकर मोटी भित्तिवाला एक युग्मनज बनाते हैं.
- इस युग्मनज में मिऑसिस होता है जिससे फ्लैं जिलायुक्त जीव बनते हैं.
यूलोथिक्स
- यूलोथिक्स एक अगुणित तंतुमयी अलवण जलीय शैवाल है. इसमें तंतु की कुछ कोशिकाएं चार फ्लैंजिला वाले चल बीजाणु बनाते हैं जो नये तंतुओं का निर्माण करते हैं.
- लैंगिक जनन के समय कोशिका दो फ्लैंजिला वाले युग्मक बनाती हैं.
- ये युग्मक संगलित होकर युग्मनज बनाते हैं.
- इसके पश्चात् युग्मनज में मिऑसिस से अगुणित चल बीजाणु बनते हैं जिससे नए तंतु बनते हैं.
स्पाइरोगाइरा
- स्पाइरोगाइरा भी तंतुमयी हरा shaivaal है जो अलवणी जल में पाया जाता है इसमें कुंडलित, रिबन के आकार का क्लोरोप्लास्ट होता है.
- स्पाइरोगाइरा में प्रजनन लैंगिक जनन के संयुग्मन द्वारा होता है.
- स्पाइरोगाइरा शैवाल के तंतु की कोशिका का जीवद्रव्य (जिसे नर कहते हैं) नली द्वारा दूसरे कोशिका में (जिसे मादा कहते हैं) चला जाता है और उससे संगलित हो जाता है.
- इससे उत्पन्न युग्मनज के चारों ओर एक मोटी भित्ति बन जाती है जिसे जाइगोस्पोर कहते हैं.
- जाइगोस्पोर में मिऑसिस उपस्थित होते हैं जिससे अगुणित कोशिकाएं बन जाती हैं.
- इन कोशिकाओं में नए तंतु बनते हैं.
भूरे शैवाल या फियोफाइटा डिवीजन
(ग्रीक भाषा में फैओस भूरा, फाइटोन = पौधा)
- भूरे शैवाल जो अधिकाँश समुद्र में पाई जाती हैं .
- भूरे शैवाल एककोशिकीय नहीं होते हैं.
- इनमें कुछ छोटे अथवा तंतुमयी होते है. कुछ तैरने वाले होते हैं.
- सारगासम एक ऐसा पौधा है जो गरम जल में पाया जाता है.
- भूरे शैवाल, जैसे लेमिनेरिया पानी में अपने संलग्नक द्वारा चट्टानों से जडे रहते हैं .
- लेमिना (फलक) प्रकाश संश्लेषी है जब कि स्टाइप पौधों के तने के समान है.
- कुछ बड़े भूरे shaivaal अथवा कैल्प में भोजन संवहन नलिकाएं होती हैं, जो संवहनी पौधों में फ्लोएम की तरह कार्य करती हैं.
- इन नलिकाओं के द्वारा भोजन फलक से संग्लनक तक पहुंचती हैं.
- भूरे शैवाल में भरा वर्णक फ्यूकोजैनथिन तथा क्लोरोफिल (a तथा c) उपस्थित होते हैं.
- फ्यूकोजैनथिन क्लोरोफिल के हरे रंग को दबा देता है.
- भूरे शैवाल की कोशिका भित्ति में सैल्यूलोज उपस्थित होता है.
- इस सैल्यूलोजी कोशिका झिल्ली पर एक कोलॉइडी झिल्ली होती है.
- यह झिल्ली पॉलिसैकेराइड के मिश्रण की बनी होती है.
- इस सबका मिश्रित रूप फाइकोकोलाइड है.
- फाइकोकोलाइड का मुख्य कार्य यह है कि जब शैवाल पानी के ऊपर होता है तब इसे सूखने अथवा जमने (सर्दी में) से बचाता है; और जब लहरों के द्वारा शैवाल चट्टानों से टकराते हैं तब फाइको कोलाइड इनकी कोशिकाओं की रक्षा करता है.
- इसमें प्रजनन अलैंगिक जनन विखंडन विधि द्वारा होता है लैंगिक जनन में फ्लैजिलायुक्त युग्मक बनते हैं.
- मादा युग्मक प्राय: फ्लें जिला विहीन होते हैं.
- कुछ भूरे शैवालों में अगुणित तथा बहुकोशिकीय द्विगुणित में एकांतरण होता है. स्थलीय पौधों की तरह इनमें भी द्विगुणित अवस्था प्रभावी होती है.
लाल शैवाल या रोडोफाइटा
(ग्रीक भाषा में रोडो = लाल; फाइटोन = पौधा)
- लाल शैवाल या रोडोफाइटा जो मुख्यतः समुद्री algae हैं. कुछ कोरेलाइन शैवाल हैं;
- ये अपनी भित्ति पर कैल्शियम कार्बोनेट का स्राव तथा संचय करते हैं.
- लाल शैवाल या रोडोफाइटा कोरेल की तरह की संरचनाएँ बनाते हैं.
- ये कुछ कोरेल क्षेत्रों में मुख्य उत्पादक होते हैं.
- उनका लाल रंग फाइकोएरिथरिन तथा फाइकोसायरिन (फाइको वाइलिन) वणर्कों के कारण होता है.
- ये वर्णक तथा क्लोरोफिल- a प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करते हैं.
- ये वे ही वर्ण हैं जो सायनों बैक्टीरिया में पाए जाते हैं.
- लाल वर्णक सूर्य प्रकाश के नीले-हरे भाग को अवशोषित करते हैं.
- लाल शैवाल प्राचीन वर्ग का है. जिसमें जीवन-चक्र की किसी भी अवस्था में फ्लैजिला युक्त कोशिका नहीं बनती.
- कुछ में बीजाणु द्वारा लैंगिक जनन होता है कुछ संगलन पुनर्जीवित हो जाता है और पूरा नया पौधा बन जाता है.
- लैंगिक जनन के समय पानी की लहरें गतिहीन नर युग्मक को बहा ले जाती हैं. नर युग्मक पौधे पर लगे मादा युग्मक को निषेचित कर देते हैं.
- बहुत से लाल algae में अगुणित तथा द्विगुणित बहुकोशिकीय संतति में पीढ़ी एकांतरण होता है.
- लाल शैवाल में कुछ रंगहीन, परजीवी प्रकार के जीव जैसे हारवेयेल्ला भी होते हैं. .
- ये जीव प्रकाश संश्लेषी लाल शैवालों पर विषमपोषी जीवन व्यतीत करते हैं.
- ये इस प्रकार हैं जैसे कोई परजीवी पुष्पी पौधा अन्य हरे पौधों पर रहता है.
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