महमूद गजनी (गज़नवी) के सत्रह आक्रमण और उद्देश्य-मध्यकालीन भारत

महमूद गजनी (गज़नवी) के सत्रह आक्रमण और उद्देश्य-प्रसिद्ध इतिहासकार हबीब, जाफर तथा लेनपूल आदि का मत है कि महमूद गजनी (गज़नवी) का भारत पर आक्रमण करने का उद्देश्य ‘धन प्राप्ति’ था.

महमूद गजनी (गज़नवी) के सत्रह आक्रमण और उद्देश्य

वस्तुतः आजकल महमूद गजनी के आक्रमणों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य ‘धन प्राप्ति’ ही माना जाता है. कई विद्वानों ने इस विषय में विभिन्न मत दिए हैं जैसे-

  •  इस्लाम का प्रसार.
  • ‘हस्तिदल’ (हाथियों) की प्राप्ति.
  • यश तथा ख्याति प्राप्त करने की कामना.
  • कुशल कारीगरों की प्राप्ति.
  • मध्य एशिया में तुर्की-फारसी साम्राज्य की स्थापना.

संक्षेप में कहा जा सकता है कि महमूद गजनवी के आक्रमणों का स्वरूप धार्मिक नहीं था. उसका उद्देश्य धन प्राप्त करके मध्य एशिया में विशाल तथा स्थाई गजनवीं साम्राज्य की स्थापना करना था.

महमूद गजनी (गज़नवी) के सत्रह आक्रमण

महमूद गजनी (गज़नवीके भारत पर किए गए सत्रह आक्रमणों का संक्षेप में उल्लेख इस प्रकार है-

  1.  1000ई. में प्रथम बार महमूद ने उत्तर-पश्चिमी सीमा के कुछ नगरों और पेशावर के आसपास कुछ किलों पर अधिकार किया. 
  2. 1001 ई. में महमूद ने पेशावर पर आक्रमण करके जयपाल को पराजित किया तथा उससे 25 हाथी और 2,50,000 दीनार प्राप्त किए.
  3. 1004 ई. में उसने भेरा तथा भटिण्डा पर आक्रमण करके बाजीराय को पराजित किया और 280 हाथी तथा अपार सम्पत्ति प्राप्त की.
  4. 1005-06 ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक अबुल फतह दाऊद को पराजित करके 20,000 सोने के दिरहम प्राप्त किए तथा जयपाल के पौत्र सेवकपाल (सुखपाल) को (जिसने इस्लाम स्वीकार कर नौकाशाह नाम ग्रहण कर लिया था) मुल्तान का शासन सौंप दिया.
  5. महमूद के लौटते ही नौकाशाह (सुखपाल) ने इस्लाम त्याग दिया. अतः महमूद गजनी ने आक्रमण करके सुखपाल को बन्दी बना लिया और आजीवन उसे कैदी बनाए रखा.
  6. 1008 ई. में महमूद ने लाहौर के शासक आनन्दपाल पर आक्रमण किया. आनन्दपाल के नेतृत्व में ग्वालियर, कालिंजर, कन्नौज, उज्जैन, दिल्ली, अजमेर तथा खोखर जाति ने बड़ी वीरता से महमूद का सामना किया, किन्तु आनन्दपाल का हाथी आँख में तीर लगने से घायल होकर युद्ध क्षेत्र से भाग खड़ा हुआ. इस युद्ध की पराजय के साथ ही हिन्दू शाही वंश के सामूहिक प्रयत्न पूर्ण रूप से विफल हो गए. भारतीय जनता एवं शासकों पर महमूद का आतंक बैठ गया.
  7. 1009 ई. में महमूद ने नगरकोट (काँगड़ा) पर आक्रमण करके यहाँ के मन्दिर से अपार सम्पत्ति को लूट लिया.
  8. 1011 ई. में महमूद ने मुल्तान के शासक दाऊद पर पुनः आक्रमण करके उसे बन्दी बना लिया.
  9. 1014 ई. में महमूद ने थानेश्वर पर आक्रमण करके यहाँ के मन्दिरों में लूटपाट की व किले पर अधिकार कर लिया.
  10. 1013 ई. में महमूद ने आनन्दपाल के उत्तराधिकारी त्रिलोचनपाल की राजधानी ‘नन्दन’ को जीत कर गजनवी साम्राज्य का अंग बना लिया.
  11. 1015 ई. में महमूद ने कश्मीर पर आक्रमण करके त्रिलोचनपाल के पुत्र भीमपाल को हराया.
  12. 1018 ई. में महमूद ने मथुरा में लूटपाट की. कन्नौज का शासक राजपाल शहर छोड़ कर भाग गया तथा महमूद कन्नौज से 2 करोड़ दिरहम, 53,000 कैदी और 350 हाथी लेकर गजनी तौट गया.
  13. 1021 ई. में महमूद ने कालिंजर व ग्वालियर पर आक्रमण करके उन पर अधिकार कर लिया.
  14. 1021 ई. में महमूद ने पंजाब पर पुनः आक्रमण किया तथा जो क्षेत्र अभी तक स्वंतत्र थे उन्हें गजनी साम्राज्य में पूर्ण रूप से मिला लिया गया.
  15. 1022 ई. में महमूद ने धन प्राप्ति हेतु कालिंजर पर पुनः आक्रमण किया.
  16. महमूद के आक्रमणों में सोमनाथ (काठियावाड़) पर आक्रमण सर्वाधिक प्रसिद्ध माना जाता है. 17 अक्टूबर, 1024 ई. को विशाल सेना के साथ उसने गजनी से कूच किया तथा जनवरी, 1025 ई. को वह गुजरात की राजधानी अनहिलवाड़ा पहुंचा. यहाँ का राजा भीमदेव भाग गया. तीन दिन तक जनता ने महमूद का सामना किया किन्तु पराजित हुई. मन्दिर से महमूद को 20 लाख दीनार से भी अधिक धन प्राप्त हुआ.
  17. 1017 ई. में महमूद ने सिन्ध नदी और मुल्तान के आस-पास बसे जाटों पर जल सेना द्वारा आक्रमण करके उन्हें पराजित किया. महमूद लूटपाट करके गजनी पहुंचा. 1030 ई. में वहीं उसकी मृत्यु हुई. उस समय वह 59 वर्ष का था.

महमूद गजनी (गज़नवी) के सत्रह आक्रमण और उद्देश्य-मध्यकालीन भारत

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