लोदी कालीन वास्तुकला (Lodi period Architecture)–
बहलोल लोदी का मकबरा (लोदी कालीन वास्तुकला)
- लाल पत्थरों से निर्मित यह मकबरा सिकन्दर लोदी ने बनवाया था.
- इस मकबरे में तीन मेहराब एवं द्वार-स्तम्भ हैं.
- इसमें पाँच गुम्बद हैं तथा मध्य भाग में स्थित गुम्बद सबसे ऊँचा है.
सिकन्दर लोदी का मकबरा (Lodi period Architecture)
- इस इमारत का निर्माण इब्राहिम लोदी ने करवाया था.
- इसके गुम्बद के चारों ओर आठ खम्बे बने हैं तथा इसके चारों किनारों पर काफी ऊँचे बुर्ज हैं.
- इस मकबरे में अष्टभुजीय मकबरों के दोषों से बचने का प्रयास किया गया है.
- बाद में मुगल शैली के विकास में इससे प्रेरणा मिली है.
मोठ की मस्जिद
- इसका निर्माण सिकन्दर लोदी के वजीर ने करवाया था .
- सर जॉन मार्शल के अनुसार-
“लोदियों की स्थापत्य कला में जो कुछ सबसे सुन्दर है, उसका संक्षिप्त रूप मोठ की मस्जिद में विद्यमान है.”
बड़े खाँ तथा छोटे खाँ का मकबरा
- इनका निर्माण सिकन्दर लोदी ने करवाया था.
- इनके अतिरिक्त उसने ‘मोती मस्जिद’ भी निर्मित करवाई.
- इस काल में जामा मस्जिद, बड़ा गुम्बद, दादी का गुम्बद, पीली का गुम्बद, शीश गुम्बद, ताज खाँ का गुम्बद आदि प्रसिद्ध हैं.
- पर्सी ब्राउन ने इस युग को ‘मकबरों का युग‘ के नाम से सम्बोधित किया.
वास्तव में सैय्यद और लोदी काल में बने भवनों में खिलजी कालीन स्थापत्य कला की नकल की गई है.
- इस काल में अनेक प्रान्त ऐसे थे जो सुल्तानों के आधिपत्य से स्वतन्त्र होगए थे.
- इनमें भी वास्तुकला का पर्याप्त विकास हुआ.
- इनकी कला भी काफी सीमा तक दिल्ली की कला के समान थी.
- प्रान्तीय वास्तुकला (Provincial Architectures) पर पूर्व-तुर्की काल की स्थानीय कला की परम्पराओं का काफी प्रभाव रहा.
- विभिन्न प्रान्तों में प्रचलित विभिन्न दशाओं ने भी कला पर प्रभाव डाला.
सल्तनत कालीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास ( Economic and Cultural Development)
लोदी कालीन वास्तुकला (Lodi period Architecture)