सल्तनत काल सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था (Sultanate Period Social and Religious status)-
सल्तनत कालीन सामाजिक अवस्था
- इस काल में समाज में मुख्यतः दो वर्ग थे-मुसलमान और हिन्दू
मुसलमान आगे दो मुख्य वर्गों में विभाजित थे
- तुर्क-अफगान, अरबी और ईरानी जाति के और
- भारतीय मुसलमान जो पहले हिन्दू थे.
भारतीय मुसलमानों से सौतेला व्यवहार किया जाता था. मुसलमान एक अन्य दृष्टिकोण से दो वर्गों-अहल-ए-सैयफ (सैनिक वर्ग तथा अहल-ए-कलम (पढ़े-लिखे लोग) में विभक्त थे.
- मुसलमान नैतिक पतन की ओर बढ़ रहे थे.
- इसका प्रमुख कारण यह था कि उनके पास हिन्दू राजा-महाराजाओं के राजकोषों और लूट का बहुत-सा धन एकत्र था.
- इसलिए बिना परिश्रम के कमाए धन को उन्होंने सुरासुन्दरी में पानी की तरह बहाया.
- कई सुल्तान (कैकुबाद, कुतुबुद्दीन मुबारक शाह आदि) स्वयं ही गिरे हुए चरित्र के थे.
- ‘दास प्रथा’ का प्रचलन भी था.
- किन्तु उस समय दास प्रथा बुरी नहीं थी. यह एक सामाजिक संस्था बन गई थी.
चार प्रकार के दास थे-
- क्रीत (खरीदे हुए),
- लब्ध (दान अथवा भेंट स्वरूप प्राप्त)
- युद्ध में प्राप्त दास
- आत्म विक्रेता दास
- यदि कोई दास अपने स्वामी की बड़ी सेवा करता अथवा अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा करता था तो उसका स्वामी उसे स्वतन्त्र कर देता था.
- दासों से अच्छा व्यवहार किया जाता था.
- उन्हें अपनी योग्यतानुसार आगे बढ़ने के अवसर दिए जाते थे.
- कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश तथा बलबन भी दास थे तथा अपनी योग्यता के बल पर वे सुल्तान पद तक पहुंचे.
- राजसी ठाठ-बाट के प्रदर्शन में मुसलमान शासक सबसे आगे थे.
सल्तनत कालीन स्त्रियोंकी अवस्था (सल्तनत काल सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था)
- हिन्दुओं के घरों में स्त्रियों को गृह-स्वामिनी माना जाता था.
- कई स्त्रियां बड़ी विदुषी थीं.
- स्त्रियाँ नृत्य, संगीत, चित्रकला आदि की शिक्षा प्राप्त करती थीं.
- फिर भी स्त्रियों की अवस्था ठीक नहीं थी.
- बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी तथा विवाह की पवित्रता कम हो गई थी.
- सुल्तान कैकुबाद और मुबारक शाह के समय नारियों का महत्व और सम्मान और भी कम हो गया.
- पर्दे की प्रथा का भी प्रचलन था.
- एक मुस्लिम विधवा दूसरा विवाह कर सकती थी, किन्तु हिन्दू स्त्री ऐसा नहीं कर सकती थी.
- सती–प्रथा तथा जौहर की प्रथा भी प्रचलित थी.
- सती होने से पूर्व सुल्तान की अनुमति लेनी अनिवार्य थी.
- हिन्दू स्त्रियों की दशा इतनी खराब हो गई थी कि (बरनी के अनुसार) हिन्दू स्त्रियों को मुसलमानों के घरों में काम-काज करने के लिए मजबूरन जाना पड़ता था.
- सरकार हिन्दुओं को मुसलमान बनाने हेतु कई सुविधाएँ पेश करती थी.
- सुल्तान खुसरो के समय हिन्दुओं की दशा में थोड़ा सुधार हुआ.
- फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगाया तथा सिकन्दर लोदी ने हिन्दुओं को दण्डित करना शुरू किया.
- आर्थिक संकट न होने पर भी हिन्दुओं की दशा दासों जैसी हो गई .
- हिन्दू लोग वर्ण-व्यवस्था का कठोरता से पालन करते थे. चरित्र-सम्बन्धी अपराधों के लिए कठोर दण्ड दिए जाते थे.
- राजकुमार मसऊद की माता को भी व्यभिचार के अपराध में पत्थर मार-मार कर मार दिया गया.
- लोगों को धन इकट्ठा करने में बड़ी रुचि थी .
- गधे की सवारी घृणास्पद समझी जाती थी.
- लोग तन्त्र-मन्त्र तथा चमत्कार आदि में विश्वास रखते थे.
- कन्या के जन्म को अशुभ माना जाता था.
- कवि खुसरो ने अपनी पुत्री के जन्म पर दुःख व्यक्त किया.
लोगों के आचार और व्यवहार (सल्तनत काल सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था)
- लोग माँसाहारी भी थे व शाकाहारी भी.
- उच्च वर्गों में मदिरा और अफीम का उपयोग बढ़ गया था.
- जन साधारण ज्वार व बाजरा खाते थे.
- दूध, घी, मक्खन, शक्कर आदि का प्रयोग भी किया जाता था.
- हिन्दू और मुसलमान दोनों ही अतिथि सत्कार के लिए प्रसिद्ध थे.
- सब लोग विभिन्न धातुओं के आभूषण पहनते थे.
- हिन्दू लोग रक्षा-बन्धन, होली, दशहरा, वसन्तोत्सव इत्यादि मानते थे .
- परन्तु मुस्लिम शासकों ने उन पर्वो पर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगा दिए थे.
- लोग धूत-क्रीड़ा, आखेट, मल्ल-युः, पशु-युद, संगीत, कला, प्रदर्शनी, नाटक इत्यादि से अपना मनोरंजन करते थे.
- दक्षिण भारत के लोगों के आचार और व्यवहार उत्तर भारत के लोगों से कुछ भिन्न थे.
- आत्म-बलिदान और सती–प्रथा भी, प्रचलित थी.
- ब्राह्मणों का आदर किया जाता था.
- विद्या प्राप्ति हेतु बहुत परिश्रम किया जाता था.
- नैयर स्त्रियों में बहु-पति प्रथा प्रचलित थी.
- मलाबार में दण्ड-विधान बहुत कठोर था.
- इब्नबतूता के अनुसार कभी-कभी तो नारियल की चोरी के लिए भी प्राण दण्ड दिया जाता था.
सल्तनत कालीन धार्मिक अवस्था
- उस समय भारत में मुख्यतः हिन्दू और मुसलमान धर्मों की प्रमुखता थी.
- सल्तनत के सुल्तान तथा भारत में बसे मुसलमान अधिकतर कट्टर सुन्नी थे.
- उन्होंने हिन्दुओं और शिया, करमानी, मैहदवी आदि मुसलमान सम्प्रदायों के प्रति दमनात्मक नीति अपनाई.
- सूफी सन्तों को भी कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े.
- हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के भरसक प्रयत्न किए गए.
- कई हिन्दुओं ने इस्लाम ग्रहण किया.
- किन्तु ऐसे लोग बहुत कम थे जिन्होंने इस्लाम के सिद्धान्तों के प्रभावाधीन इसे ग्रहण किया हो.
- हिन्दू तथा मुसलमान एक ही राज्य में रहते हुए एक-दूसरे से बिल्कुल अलग रहे.
- हिन्दुओं को धार्मिक और राजनीतिक कारणों से मुसलमानों के असंख्य अत्याचार सहने पड़े.
- हिन्दुओं पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए थे.
- मुसलमानों के चरित्र व शक्ति का भी पतन होने लगा था.
- मुसलमान परिश्रम से दूर भागने लगे थे और ऐश्वर्यशाली जीवन बिताने लगे थे.
- मुगल काल से पूर्व हिन्दू जाति ने रामानन्द, चैतन्य महाप्रभु, गुरु नानक आदि भक्तों को पैदा किया.
- मुसलमानों के बीच सूफियों ने सुन्नियों की श्रेष्ठता को चुनौती दी.
- सूफियों का कहना था कि उलेमा ने कुरान शरीफ की गलत व्याख्या की है.
- उनका विचार था कि सतयुग आने वाला है.
- सल्तनत काल सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था
सल्तनत कालीन जैन तथा बौद्ध धर्म,शैव वैष्णव आदि सम्प्रदाय
- जैन तथा बौद्ध मत भी अस्तित्व में थे, किन्तु इनका प्रभाव नाममात्र ही रह गया था.
- जैन धर्म केवल भारत के पश्चिमोत्तर तथा राजस्थान में ही सीमित हो गया था.
- बौद्ध धर्म में महायान सम्प्रदाय प्रगति पर था.
- बौद्धों का प्रभाव भारत के पश्चिमोत्तर और मध्य देश में अधिक था.
- महायान बौद्ध विद्वानों का प्रभाव कम हो गया था.
- हिन्दू धर्म में शैव, वैष्णव आदि सम्प्रदायों का प्रचलन था.
- शैवों के अनेक सम्प्रदाय थे-पाशुपत, कापालिक, वीरशैव, शिव सिद्धान्त, लिंगायत आदि .
- धीरे-धीरे यह मत समस्त भारत में फैल गया.
- उन्होंने ‘वाम मार्ग’ का सिद्धान्त चलाया.
- इन लोगों ने भक्ति पर जोर दिया तथा वैष्णव आचार्यों ने उनका समर्थन किया.
वैष्णवों के चार मुख्य सम्प्रदाय थे-
- श्री सम्प्रदाय,
- ब्रह्म सम्प्रदाय,
- रूद्र सम्प्रदाय तथा
- सनकादि सम्प्रदाय
- रामानुज, गुरुब्रह्मा, माधवाचार्य, विष्णु स्वामी, वल्लभाचार्य, निम्बार्क आचार्य आदि विभूतियों ने वैष्णव मत के इन सम्प्रदायों का प्रचार किया.
सल्तनत काल सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था (Sultanate Period Social and Religious status)