फिरोज शाह तुगलक के उत्तराधिकारी Firoz Shah Tughlaq’s successor–फिरोजशाह तुगलक के सभी उत्तराधिकारी नाममात्र के ही शासक रहे. उसके तत्कालीन उत्तराधिकारी (उसका पौत्र) गयासुद्दीन तुगलकशाह के प्रशासन में विशेष रुचि न ली.
अतः अमीरों ने जफर खाँ के पुत्र अबुबक्र को 1389 ई. में सुल्तान बनाया. उसी के काल में शाहजादा मुहम्मद ने अमीरों की सहायता से 24 अप्रैल, 1989 ई. के समान में अपने आप को सुल्तान घोषित कर दिया और अबुबकर को 1390 ई. में सुल्तान का पद त्यागना पड़ा.
मुहम्मद अत्यधिक मदिरापान और विलासिता के कारण 1394 ई. में ही चल वसा और उसके पुत्र हुमायूं ने अलाउद्दीन सिकन्दर शाह की उपाधि धारण करके सुल्तान का पद सम्भाला.
उसके पश्चात् अमीरों के दो विरोधी गुटों ने नासिरुद्दीन तथा नुसरतशाह के सुल्तान बनाया. दोनों में संघर्ष हुआ. किन्तु 1398 ई. में तैमूर के आक्रमण के समय गद्दी के दोनों दावेदार दिल्ली से भाग खड़े हुए. फलत: सुल्तान का पद तीन महीने तक रिक्त रहा.
कुछ इतिहासकारों का मत है कि दिल्ली के वास्तविक सुल्तान महमूद हैं. प्रधानमन्त्री मल्लू इकबाल बन गया था. मार्च, 1399 ई. में नुसरत शाह ने जब दिल्ली पर अधिकार करने का प्रयत्न किया तो मन इकबाद में उसे मार भगाया.
मल्लू इकबाल ने 1401 ई. में महमूद को दिल्ली दुता कर सुल्तान बनाया. किन्तु वास्तविक सत्ता अपने हाथों में रखी. 1405 ई. में मन्नू इकबाल मुल्तान के हाकिम खिज्र खाँ के विरुद्ध संघर्ष करता हुआ मारा गया और कुछ समय के लिए वास्तविक सत्ता महमूद के हाथों में आ गई.
1412 ई. में नासिरुद्दीन महमूदशाह की मृत्यु हो गई सुल्तान की गद्दी पर दौलत खाँ का अधीकार हो गया. 1413.ई. में दौलत खाँ और तैमूर के उत्तराधिकारी खिज्र खां के बीच सुल्तान पद के लिए संघर्ष हुआ. दौलत खाँ पराजित हुआ और तुगलक वंश के बाद खिज्र खाँ ने 1414 ई. में सुल्तान बन कर एक नए राज व सैयद वंश की स्थापना की.
फिरोज शाह तुगलक के उत्तराधिकारी Firoz Shah Tughlaq’s successor